ICAR-गन्ना प्रजनन संस्थान का ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ नामक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू

कोयंबटूर: भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR), कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ (VKSA – विकसित कृषि के लिए मिशन) नामक एक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू कर रहा है। यह अभियान 29 मई से 12 जून 2025 तक भारत के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चलेगा। इस अभियान का उद्देश्य जमीनी स्तर पर कृषि वैज्ञानिकों को सीधे किसानों से जोड़ना है, खासकर ग्रामीण, सीमावर्ती और वंचित क्षेत्रों में, ताकि उन्हें आगामी खरीफ फसल मौसम के लिए तैयार किया जा सके।

इस पहल के हिस्से के रूप में, आईसीएआर-गन्ना प्रजनन संस्थान (ICAR-SBI), कोयंबटूर ने अभियान में भाग लेने के लिए नियुक्त वैज्ञानिकों के लिए एक अभिमुखीकरण कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला का आयोजन 27 मई 2025 को संस्थान के परिसर में किया गया। कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए आईसीएआर-गन्ना प्रजनन संस्थान के निदेशक डॉ. पी. गोविंदराज ने बताया कि, इस अभियान को आईसीएआर के 113 शोध संस्थानों, 731 कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके), कृषि विश्वविद्यालयों और विभिन्न राज्य कृषि, बागवानी, पशुपालन और मत्स्य पालन विभागों द्वारा क्रियान्वित किया जाएगा।

उन्होंने वैज्ञानिकों से किसानों के साथ सार्थक बातचीत करने, उन्हें क्षेत्र-विशिष्ट खरीफ फसलों को समझने और बेहतर कृषि पद्धतियों को अपनाने में मदद करने का आग्रह किया। ‘लैब-टू-लैंड’ थीम के तहत, वीकेएसए अत्याधुनिक नवाचारों, वैज्ञानिक खेती के तरीकों और समय पर सहायता प्रणालियों के माध्यम से प्रत्येक भारतीय किसान को सशक्त बनाना चाहता है। डॉ. गोविंदराज ने किसानों को सरकारी योजनाओं और कृषि विकास नीतियों के प्रति संवेदनशील बनाने के महत्व पर भी जोर दिया।

कोयंबटूर जिले की कृषि उप निदेशक (भारत सरकार की योजनाएं) पुनीता ने विभिन्न केंद्रीय और राज्य सरकार की योजनाओं पर विस्तृत प्रस्तुति दी। वीकेएसए के प्रधान वैज्ञानिक और नोडल अधिकारी डॉ. डी. पुथिरा प्रताप ने अपनी प्रस्तुति के दौरान अभियान के उद्देश्यों और रणनीति को रेखांकित किया। उन्होंने चीनी विभाग और राज्य कृषि अभियांत्रिकी विभाग द्वारा गन्ना किसानों के लिए क्रियान्वित की जा रही कई योजनाओं के बारे में भी विस्तार से बताया, जिसमे विशेष प्रोत्साहन, बीज सामग्री खरीद के लिए सब्सिडी, चौड़ी कतार में रोपण के लिए सहायता, कचरा निपटान और मल्चिंग, मशीनरी खरीदने और कस्टम हायरिंग सेंटर स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता शामिल थी।

डॉ. प्रताप ने यह भी घोषणा की कि, वीकेएसए अभियान में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए आईसीएआर-एसबीआई के वैज्ञानिकों को तमिलनाडु के 16 जिलों और पुडुचेरी के एक जिले में प्रतिनियुक्त किया जा रहा है। प्रस्तुतियों के बाद एक संवादात्मक सत्र हुआ, जिसके दौरान भाग लेने वाले वैज्ञानिकों ने प्रश्न पूछे और प्रस्तुतकर्ताओं से स्पष्टीकरण प्राप्त किए। कार्यशाला का समापन वीकेएसए के प्रधान वैज्ञानिक और समन्वयक डॉ. सी. पलानीस्वामी द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here