पुणे: महाराष्ट्र स्टेट कोऑपरेटिव शुगर मिल्स एसोसिएशन ने सोमवार (गुरुवार 24) को सिम्बायोसिस यूनिवर्सिटी में इंटरनेशनल कोऑपरेटिव ईयर के मौके पर अलग-अलग कॉम्पिटिशन के प्राइज डिस्ट्रीब्यूशन सेरेमनी ऑर्गनाइज़ की गई थी। इस मौके पर नेशनल एग्रीकल्चरल कॉस्ट्स एंड प्राइस कमीशन (CACP) के चेयरमैन प्रो. विजय पॉल शर्मा चीफ गेस्ट के तौर पर मौजूद थे। उन्होंने दावा किया कि, अगर सरकार गन्ने का फेयर एंड रिम्यूनरेटिव प्राइस (FRP) बहुत ज्यादा बढ़ाती है, तो इससे देश की शुगर फैक्ट्रियों के साथ-साथ किसानों को भी नुकसान हो सकता है। केंद्र सरकार ने सात साल तक किसानों को सेंटर में रखकर FRP बढ़ाया है। लेकिन, अगर FRP बहुत ज्यादा बढ़ाई गई, तो शुगर इंडस्ट्री के हिस्सों को नुकसान होगा। इसलिए, अब हमें ऐसा अप्रोच रखना होगा जो फैक्ट्रियों और किसानों के हितों के साथ-साथ आपसी विकास को भी सुरक्षित रखे।
राष्ट्रीय सहकारी चीनी मिल महासंघ के अध्यक्ष हर्षवर्धन पाटिल ने कहा कि,चीनी उद्योग की लागत अब 5800 रुपये प्रति टन तक पहुंच गई है और रिटर्न घटकर सिर्फ 5000 रुपये रह गया है। चीनी महासंघ ने 700 रुपये प्रति टन के नुकसान को खत्म करने के लिए केंद्र सरकार को एक प्रस्ताव दिया है। इस अवसर पर प्रो. पॉल ने कहा कि, लगातार फसल लेने से जमीन खराब हो रही है। उन्होंने कहा कि, गन्ने की खेती में आने वाली समस्याओं पर भी विचार करना होगा।इस अवसर पर को-जनरेशन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के उपाध्यक्ष जयप्रकाश दांडेगावकर, राज्य चीनी संघ के अध्यक्ष पी. आर. पाटिल, उपाध्यक्ष प्रताप ओहोळ और प्रबंध निदेशक संजय खताळ, चीनी आयुक्त डॉ. संजय कोलते, ‘वीएसआई’ के महानिदेशक संभाजी कडू-पाटील, लेखक अच्युत गोडबोले, महाराष्ट्र सहकारी विकास निगम के प्रबंध निदेशक मंगेश तिटकारे आदि उपस्थित थे।


















