निर्यात और तकनीकी उन्नयन के कारण भारत में मालगाड़ी मार्केट 2031 तक दोगुना होने की उम्मीद: रिपोर्ट

नई दिल्ली : शेयर बाजार कंपनी SMIFS की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में मालगाड़ी मार्केट 2031 तक लगभग दोगुना होकर मौजूदा 120-140 अरब रुपये से बढ़कर 250-300 अरब रुपये तक पहुँचने की उम्मीद है। यह वृद्धि मज़बूत निर्यात क्षमता और तकनीकी प्रगति के कारण हो रही है। रिपोर्ट में बताया गया है कि, 2025 तक, इस बाजार का मूल्य 120-140 अरब रुपये होगा, जिसे भारतीय रेलवे (आईआर) से बड़े पैमाने पर खरीद और निजी क्षेत्र की बढ़ती भागीदारी से मदद मिलेगी। 10-12 प्रतिशत की अनुमानित चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) के साथ, यह क्षेत्र अगले छह वर्षों में उल्लेखनीय रूप से विकसित होने की ओर अग्रसर है।

रिपोर्ट में कहा गया है की, 2031 तक, बाजार लगभग दोगुना होकर 250-300 अरब रुपये तक पहुँचने का अनुमान है, जिसे 10-12 प्रतिशत की मज़बूत चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) का समर्थन प्राप्त होगा, जो बढ़ती माल ढुलाई माँग, तकनीकी उन्नयन और निर्यात क्षमता से प्रेरित है। सरकार भारतीय रेलवे में एक बड़े बदलाव का नेतृत्व कर रही है, जिसका लक्ष्य 2030 तक इसकी माल ढुलाई हिस्सेदारी लगभग 27 प्रतिशत से बढ़ाकर लगभग 45 प्रतिशत करना है।

इस दशक के अंत तक माल ढुलाई की मात्रा को दोगुना करके 3 अरब टन करने का भी लक्ष्य है। इस प्रयास को बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे के उन्नयन से समर्थन मिल रहा है, जिसमें समर्पित माल गलियारा (DFC), उन्नत सिग्नलिंग प्रणाली, ट्रैक सुधार और स्टेशनों व प्लेटफार्मों का आधुनिकीकरण शामिल है। वित्त वर्ष 2024 में, भारतीय रेलवे ने 5,300 किलोमीटर नई पटरियाँ जोड़ीं, जिससे 2015 में 4 किलोमीटर प्रतिदिन से वर्तमान में 14.5 किलोमीटर प्रतिदिन तक की गति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।

वित्त वर्ष 2025 के लिए, इसने लगभग 5,500 किलोमीटर नई पटरियां बिछाने का लक्ष्य रखा है, जिनमें से 3,433 किलोमीटर पटरियाँ अप्रैल और दिसंबर 2024 के बीच चालू हो चुकी हैं। अगले पांच वर्षों में, रेलवे का लक्ष्य कुल 25,000 किलोमीटर पटरियाँ जोड़ना है। विस्तार के साथ-साथ, यह लगभग 23,000 किलोमीटर मौजूदा पटरियों को 130 किलोमीटर प्रति घंटे तक की उच्च गति प्रदान करने के लिए उन्नत भी कर रहा है, जिससे क्षमता वृद्धि और आधुनिकीकरण दोनों सुनिश्चित होंगे।

रिपोर्ट में कहा गया है कि, रेल नेटवर्क के इस तीव्र विस्तार और माल ढुलाई दक्षता की बढ़ती आवश्यकता के लिए वैगन क्षमता में तीव्र वृद्धि की आवश्यकता होगी। उच्च क्षमता वाले, तकनीकी रूप से उन्नत वैगन थोक वस्तुओं के परिवहन, टर्नअराउंड समय को कम करने और रसद लागत में कटौती के लिए आवश्यक होंगे।

भारतीय रेलवे अपने रखरखाव के बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण, पुराने वैगनों को बदलने, सामग्री प्रबंधन प्रणालियों में सुधार और परिचालन विश्वसनीयता और तेज टर्नअराउंड समय सुनिश्चित करने के लिए आईटी क्षमताओं को मजबूत करने पर भी ध्यान केंद्रित कर रहा है। इन उपायों के साथ, माल वैगन बाजार भारत के लॉजिस्टिक्स परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है, जिससे देश को अपने महत्वाकांक्षी माल ढुलाई लक्ष्यों को पूरा करने में मदद मिलेगी।

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