उद्योग जगत ने E20 के खिलाफ जनहित याचिका खारिज करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया, कहा- एथेनॉल के खिलाफ सोशल मीडिया पर सक्रियता खत्म होनी चाहिए

नई दिल्ली : 20% एनॉल-मिश्रित पेट्रोल (E20) को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका (PIL) को सुप्रीम कोर्ट द्वारा खारिज किए जाने का चीनी और एथेनॉल उद्योग ने स्वागत किया है। उद्योग जगत इस कदम को सरकार के एथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम के लिए एक बड़ा बढ़ावा मानता है। उद्योग जगत के नेताओं ने यह भी कहा कि, इस फैसले के बाद एथेनॉल के खिलाफ सोशल मीडिया अभियान कम हो सकते हैं।

सोमवार, 1 सितंबर, 2025 को, सुप्रीम कोर्ट ने 20% एथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल (E20) के देशव्यापी क्रियान्वयन को चुनौती देने वाली एक याचिका खारिज कर दी। इस याचिका में आरोप लगाया गया था कि, लाखों वाहन चालकों को एथेनॉल-मुक्त पेट्रोल के विकल्प के बिना, अपने वाहनों के लिए अनुपयुक्त ईंधन का उपयोग करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने केंद्र सरकार द्वारा एथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम को गन्ना किसानों की आय बढ़ाने और विदेशी मुद्रा संरक्षण के उपाय के रूप में बचाव करने के बाद याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।

श्री रेणुका शुगर्स के कार्यकारी अध्यक्ष अतुल चतुर्वेदी ने कहा, उम्मीद है कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जनहित याचिका खारिज करने के बाद, एथेनॉल के खिलाफ सोशल मीडिया पर सक्रियता समाप्त हो जाएगी। यह एक स्वागत योग्य निर्णय है और इससे सरकार को देश में एथेनॉल कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक आत्मविश्वास मिलेगा। गन्ने के रस और बी-हैवी एथेनॉल की कीमतों में लंबे समय से प्रतीक्षित वृद्धि भी एक वास्तविकता बन सकती है। बड़ी फसल के आकार लेने के साथ, चीनी उद्योग 50 लाख टन चीनी को एथेनॉल के लिए उपयोग करने की स्थिति में होगा। उम्मीद है कि यह सब चीनी हितधारकों के लिए शुभ संकेत होगा।

देश की अग्रणी जैव प्रौद्योगिकी कंपनी, द कैटालिस्ट्स ग्रुप के प्रबंध निदेशक मुनीश मदान, जो एथेनॉल उत्पादकों को जैव प्रौद्योगिकी समाधान प्रदान करती है, ने भी इसी तरह के विचार व्यक्त करते हुए कहा कि यह निर्णय इस क्षेत्र के लिए बहुत आवश्यक राहत लेकर आया है।सुप्रीम कोर्ट का आज का फैसला एथेनॉल से जुड़े हर हितधारक के लिए एक बड़ी राहत है। एथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक परिवर्तनकारी राष्ट्रीय लक्ष्य है। हमारे शहरों में बढ़ते प्रदूषण स्तर को देखते हुए, ईबीपी समय की मांग है, जिसके कई अन्य लाभ भी हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने इस कार्यक्रम से किसानों को होने वाले लाभों का उल्लेख करके सही किया, और यह हम सभी के लिए सर्वोपरि है।

भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) के महानिदेशक दीपक बल्लानी ने मिश्रण कार्यक्रम के आर्थिक और पर्यावरणीय लाभों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, इस्मा, ई20 इथेनॉल मिश्रण नीति को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा खारिज किए जाने का स्वागत करता है। न्यायालय का निर्णय इस बात की पुष्टि करता है कि, ई20 योजना के अनुसार जारी रहेगा, जिससे स्वच्छ ईंधन के लिए भारत के अभियान को बल मिलेगा। निर्धारित समय से पाँच वर्ष पहले 20% मिश्रण लक्ष्य प्राप्त करने का एक परिवर्तनकारी प्रभाव पड़ा है, जिसमे किसानों को ₹1.18 लाख करोड़ से अधिक का भुगतान, ₹1.36 लाख करोड़ की विदेशी मुद्रा बचत, और 698 लाख टन CO₂ उत्सर्जन में कमी हुई है। यह उपलब्धि किसानों, अर्थव्यवस्था और पर्यावरण के लिए नीति के लाभों को रेखांकित करती है, और एक स्थायी ऊर्जा परिवर्तन के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को उजागर करती है।”

भारत के अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि, याचिकाकर्ता केवल एक “नाम-उधारदाता” है और उसके पीछे एक बड़ी लॉबी है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि, सरकार ने सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद नीति तैयार की है। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि, इस नीति से भारत के गन्ना किसानों को लाभ हो रहा है। अटॉर्नी जनरल ने कहा, “क्या देश के बाहर के लोग यह तय करेंगे कि भारत को किस तरह के ईंधन का इस्तेमाल करना चाहिए?” अटॉर्नी जनरल के इस तर्क के बाद, मुख्य न्यायाधीश ने “खारिज” घोषित किया।

सरकार का एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (ईबीपी) कार्यक्रम कई लक्ष्यों पर केंद्रित है, जिसमें पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देना, कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता कम करना, विदेशी मुद्रा की बचत और घरेलू कृषि अर्थव्यवस्था को समर्थन देना शामिल है। इस पहल के परिणामस्वरूप, एथेनॉल आपूर्ति वर्ष (ईएसवाई) 2014-15 से जुलाई 2025 तक किसानों को ₹1.25 लाख करोड़ से अधिक का भुगतान किया गया है। इसके अतिरिक्त, इस कार्यक्रम ने ₹1.44 लाख करोड़ से अधिक की विदेशी मुद्रा की बचत की है, कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में लगभग 736 लाख मीट्रिक टन की कमी की है और 244 लाख मीट्रिक टन से अधिक कच्चे तेल का प्रतिस्थापन किया है।

ईबीपी कार्यक्रम के तहत प्रगति उल्लेखनीय रही है। सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) ने जून 2022 (ईएसवाई 2021-22 के दौरान) में पेट्रोल में 10% एथेनॉल मिश्रण निर्धारित समय से पहले ही हासिल कर लिया। यह आंकड़ा ईएसवाई 2022-23 में बढ़कर 12.06%, ईएसवाई 2023-24 में 14.60% और वर्तमान ईएसवाई 2024-25 में 31 जुलाई, 2025 तक 19.05% तक पहुँच गया। उल्लेखनीय है कि, अकेले जुलाई 2025 के दौरान ही मिश्रण 19.93% तक पहुँच गया।

उस महीने में, तेल विपणन कंपनियों ने कार्यक्रम के तहत 85.3 करोड़ लीटर एथेनॉल की खरीद की, जिससे नवंबर 2024 से जुलाई 2025 तक कुल खरीद 722.7 करोड़ लीटर हो गई। मिश्रण डेटा से पता चलता है कि, जुलाई 2025 में 87.9 करोड़ लीटर एथेनॉल को पेट्रोल में मिश्रित किया गया, जिससे इसी अवधि के दौरान संचयी एथेनॉल मिश्रण मात्रा 749 करोड़ लीटर हो गई।

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