अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल ने अमेरिकी प्रतिबंधों को धता बताया, 5% की उछाल के बाद कीमतों में नरमी

नई दिल्ली : शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतें सीमित दायरे में कारोबार करती रहीं, मामूली बढ़त और गिरावट के बीच उतार-चढ़ाव करती रहीं। विश्लेषकों का मानना है कि, यह मामूली मुनाफावसूली का नतीजा है। विश्लेषकों ने वैश्विक तेल खरीदारों में किसी भी तरह की घबराहट की संभावना से भी इनकार किया, जबकि अमेरिकी प्रशासन दुनिया भर में ऊर्जा के प्रमुख आपूर्तिकर्ता रूस पर अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है।

इस रिपोर्ट को लिखे जाने के समय, ब्रेंट ऑयल वायदा 0.3 प्रतिशत की बढ़त के साथ 66.19 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था, जबकि एक घंटे पहले यह मामूली निचले स्तर पर था। इसी तरह, डब्ल्यूटीआई तेल वायदा 0.36 प्रतिशत की बढ़त के साथ 62.00 डॉलर पर था, जबकि कुछ ही देर पहले यह थोड़ा निचले स्तर पर था। एसबीआई सिक्योरिटीज के अनुसार, ब्रेंट क्रूड में 5 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई, क्योंकि ऐसी खबरें आई थीं कि चीन की सरकारी तेल कंपनियों ने रूसी तेल कंपनियों रोसनेफ्ट और लुकोइल पर अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के जवाब में समुद्री मार्ग से रूसी तेल की खरीद रोक दी है।

इस हफ़्ते अब तक, ब्रेंट ऑयल वायदा कुल मिलाकर लगभग 8 प्रतिशत बढ़ चुका है और जून के बाद से अपनी सबसे मजबूत साप्ताहिक बढ़त की ओर अग्रसर है, क्योंकि प्रमुख रूसी उत्पादकों पर नए अमेरिकी प्रतिबंधों ने आपूर्ति संबंधी चिंताओं को जन्म दिया है। रशिया टुडे के रिपोर्ट के अनुसार, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने नवीनतम अमेरिकी प्रतिबंधों को एक “गलत कदम” बताया है जिससे मॉस्को और वाशिंगटन के बीच संबंधों को कोई फायदा नहीं होगा। उन्होंने कहा कि, नए प्रतिबंधों का रूस की अर्थव्यवस्था पर बहुत कम प्रभाव पड़ेगा, और कहा, कोई भी स्वाभिमानी देश दबाव में कभी कुछ नहीं करता। रूसी नेता ने यह भी कहा कि, मॉस्को और वाशिंगटन के पास “ऐसे कई क्षेत्र हैं जहाँ वे सहयोग कर सकते हैं” अगर दोनों पक्ष दबाव की रणनीति से हटकर “दीर्घकालिक मुद्दों पर गंभीर बातचीत” करें।

प्रतिबंधों के तहत दोनों कंपनियों की सभी अमेरिकी-आधारित संपत्तियां ज़ब्त कर ली गई हैं और अमेरिकी नागरिकों और संस्थाओं को उनके साथ व्यापार करने से रोक दिया गया है। रशिया टुडे के अनुसार, अमेरिकी ट्रेजरी विभाग के अनुसार, इस कदम का उद्देश्य रूस की अपने युद्ध अभियानों के लिए धन जुटाने की क्षमता को सीमित करना और उसकी अर्थव्यवस्था को और कमजोर करना है।

मेहता इक्विटीज़ लिमिटेड के वाइस प्रेसिडेंट (कमोडिटी) राहुल कलंत्री ने कहा, रोसनेफ्ट और लुकोइल पर प्रतिबंधों के कारण चीन की सरकारी कंपनियों ने समुद्री मार्ग से तेल की खरीद रोक दी और भारतीय रिफ़ाइनरों ने आयात में कटौती की।कलंत्री ने आगे कहा, इसके अलावा, रूसी ऊर्जा बुनियादी ढाँचे पर यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों और रिफ़ाइनरियों व पाइपलाइनों पर यूक्रेन के लगातार हमलों ने आपूर्ति बाधित होने की आशंकाओं को बढ़ा दिया है, जिससे जून की शुरुआत के बाद से डब्ल्यूटीआई में सबसे ज़्यादा साप्ताहिक बढ़त दर्ज की गई है।”

उन्हें उम्मीद है कि, आज के सत्र में कच्चे तेल की कीमतें अस्थिर रहेंगी। आज के सत्र में कच्चे तेल को 60.50-59.70 डॉलर पर समर्थन और 62.00-62.70 डॉलर पर प्रतिरोध मिल रहा है।कलंत्री ने कहा कि, रुपये के संदर्भ में, कच्चे तेल को 5,360-5,260 रुपये प्रति बैरल पर समर्थन मिल रहा है, जबकि प्रतिरोध 5,485-5,535 रुपये प्रति बैरल पर है।एक्सिस सिक्योरिटीज ने शुक्रवार को अपनी कमोडिटी मॉर्निंग इनसाइट्स रिपोर्ट में दावा किया कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत द्वारा रूसी तेल की खरीद बंद करने के सुझाव और अमेरिका-चीन के बीच संभावित बैठक के संकेत के बाद कच्चे तेल की कीमतों में तेजी आई है, जिससे व्यापार तनाव कम हो सकता है। एक्सिस सिक्योरिटीज के अनुसार, ये ऐसे कारक हैं जिनसे कच्चे तेल की वैश्विक मांग में तेजी आने की संभावना है।

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