छत्रपति संभाजीनगर (महाराष्ट्र) : अनियमित वर्षा और नमी के वाष्पीकरण ने इस महीने महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र के कई हिस्सों में मक्का की खेती को लेकर चिंता बढ़ा दी है। इस साल, छत्रपति संभाजीनगर, जालना, बीड, हिंगोली, धाराशिव, लातूर, परभणी और नांदेड़ सहित मराठवाड़ा जिलों में लगभग 2,56,650.38 हेक्टेयर भूमि पर मक्का (मकई) की खेती होने की उम्मीद है। कृषि विभाग की एक रिपोर्ट के अनुसार, 19 जून तक 98,891.20 हेक्टेयर भूमि पर बुवाई पूरी हो चुकी थी।
जिला कृषि अधिकारी प्रकाश देशमुख ने पीटीआई को बताया, वाष्पीकरण ने क्षेत्र में मक्का की फसल के लिए चिंता बढ़ा दी है। उन्होंने कहा, मक्का जैसी फसल नमी और पानी के प्रति संवेदनशील होती है। छत्रपति संभाजीनगर और मराठवाड़ा के अन्य हिस्सों में मक्का की खेती का रकबा बढ़ गया है, जिससे करीब 50,000 हेक्टेयर में कपास की फसल की जगह ले ली गई है। देशमुख ने कहा कि, क्षेत्र के कई हिस्सों में नमी का स्तर कम होने से मक्का की फसल के लिए पानी की कमी हो रही है। उन्होंने कहा, स्थिति गंभीर है, लेकिन नियंत्रण से बाहर नहीं है। थोड़ी सी बारिश नमी को वापस लाने में मदद कर सकती है और फसल को बचा सकती है। एक अधिकारी ने आगे बताया कि मराठवाड़ा क्षेत्र, (जिसमें आठ जिले शामिल हैं) में इस महीने अब तक 31% कम बारिश हुई है। अधिकारी ने कहा कि, जून में इस क्षेत्र में औसत बारिश 102.7 मिमी है। पिछले साल इसी अवधि के दौरान 158.1 मिमी की तुलना में अब तक केवल 70.5 मिमी बारिश हुई है।