नई दिल्ली: इंडियन शुगर एंड बायो-एनर्जी मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (ISMA) ने गुरुवार को सरकार से प्रोडक्ट के एक्सपोर्ट की इजाज़त देने की अपील करते हुए कहा कि, भारत के पास 450 करोड़ लीटर से ज़्यादा सरप्लस एथेनॉल कैपेसिटी है, जिसका इस्तेमाल नहीं हो रहा है और यह सेक्टर के विस्तार के प्लान को नुकसान पहुंचा रही है।
ISMA के डायरेक्टर जनरल दीपक बल्लानी ने रिपोर्टर्स से कहा, कैपेसिटी पहले ही बन चुकी है। इसका इस्तेमाल नहीं हो रहा है।बल्लानी के मुताबिक, भारत में हर साल 1900 करोड़ लीटर एथेनॉल बनाने की इंस्टॉल्ड कैपेसिटी है। इसमें से 900 करोड़ लीटर चीनी फीडस्टॉक बेस्ड है, जबकि दूसरा 1,000 करोड़ लीटर अनाज (चावल, मक्का) फीडस्टॉक बेस्ड है।
31 अक्टूबर को खत्म हुए एथेनॉल सप्लाई ईयर 2024-25 के दौरान, ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने 1,048 करोड़ लीटर एथेनॉल खरीदने के कॉन्ट्रैक्ट किए। इसके अलावा 330 करोड़ लीटर दूसरे इस्तेमाल के लिए सप्लाई किया गया।बल्लानी ने कहा कि, सरकार को सरप्लस इथेनॉल के एक्सपोर्ट की इजाज़त देनी चाहिए। उन्होंने पेट्रोल में ज्यादा एथेनॉल ब्लेंडिंग की भी अपील की। ऑफिशियल डेटा के मुताबिक, भारत ने पेट्रोल में 20% एथेनॉल ब्लेंडिंग हासिल कर ली है। इंडस्ट्री लॉबी इसे बढ़ाकर 30% करने की मांग कर रही है।
बल्लानी ने दावा किया कि, एथेनॉल ब्लेंडिंग से लगभग 1.55 लाख करोड़ रुपये की फॉरेन एक्सचेंज बचाने में मदद मिली है और किसानों की इनकम 1.36 लाख करोड़ रुपये बढ़ी है। इससे CO2 एमिशन में भी 790 लाख MT की कमी आई है, जो सड़कों से 175 लाख गाड़ियों को हटाने के बराबर है।


















