मैसूर : गन्ना उत्पादकों ने राज्य सरकार से वर्ष 2025-26 के लिए केंद्र द्वारा निर्धारित उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) की समीक्षा करने की मांग की है। किसानों के एक प्रतिनिधिमंडल ने नंजनगुड के तहसीलदार को इस संबंध में एक ज्ञापन सौंपा। कर्नाटक राज्य गन्ना उत्पादक संघ के अध्यक्ष हल्लिकेरी हुंडी भाग्यराज ने वर्ष के लिए 10.25% की रिकवरी के साथ गन्ने के लिए केंद्र द्वारा घोषित ₹3,550 प्रति टन के एफआरपी को ‘अवैज्ञानिक और अन्यायपूर्ण’ बताया।भाग्यराज ने कहा कि, केंद्र ने पिछले वर्ष की तुलना में एफआरपी में केवल ₹150 प्रति टन की वृद्धि की है, जबकि उत्पादन लागत में काफी वृद्धि हुई है।
उन्होंने दुख जताते हुए कहा, उत्पादन लागत, कटाई लागत, परिवहन, उर्वरक और मजदूरी सभी में वृद्धि हुई है, इसलिए ₹150 प्रति टन की यह वृद्धि मात्र 15 पैसे प्रति किलोग्राम है। भाग्यराज ने तर्क दिया कि, कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) की एक रिपोर्ट ने ₹4,500 प्रति टन की कीमत की सिफारिश की थी।उन्होंने आरोप लगाया कि, केंद्र ने ‘चीनी मिल मालिकों और पूंजीपतियों के दबाव’ के कारण एफआरपी में केवल ₹150 प्रति टन की वृद्धि की है। उन्होंने कहा कि, लोकसभा सदस्यों को भी एफआरपी दर का पुनर्मूल्यांकन करने के लिए केंद्र पर दबाव डालना चाहिए। किसान संगठन ने कृषि उपज विपणन समितियों (एपीएमसी) और सहकारिता विभाग द्वारा सभी चीनी मिलों के सामने तौल मशीनें लगाने की मांग की।
भाग्यराज ने कहा, तौल के तुरंत बाद किसानों को डिजिटल एसएमएस अलर्ट भेजे जाने चाहिए। चीनी मिलों और किसानों के बीच द्विपक्षीय समझौतों की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि गन्ने की वसूली दरों में धोखाधड़ी को रोकने के लिए स्थानीय किसानों और विशेषज्ञों की एक समिति गठित की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि, चीनी मिलों के आय विवरण की राज्य सरकार और केंद्र दोनों द्वारा समीक्षा की जानी चाहिए, जबकि अतिरिक्त लाभ किसानों को वितरित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को किसानों के हितों की रक्षा के लिए हस्तक्षेप करना चाहिए और चीनी मिलों को परिवहन और कटाई की लागत वहन करने के लिए बाध्य किया जाना चाहिए। एसोसिएशन ने पिछले साल के 950 करोड़ रुपये के लंबित बकाये का तत्काल निपटान करने और हुल्लाहल्ली सड़क की तुरंत मरम्मत करने और हुरा लिफ्ट सिंचाई परियोजना को जल्द से जल्द पूरा करने की मांग की।