बेंगलुरु : द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, चीनी मंत्री शिवानंद पाटिल पर कर्नाटक विधानसभा के सदस्यों ने उन चीनी मिलों के खिलाफ कार्रवाई करने का दबाव डाला, जो सरकार द्वारा वेइंग ब्रिज लगाने का विरोध कर रही हैं। यह दबाव किसानों की शिकायतों के बाद आया है, जिसमें मिलों पर गन्ने के वजन में धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया गया है।
उत्तरी कर्नाटक से जुड़े मुद्दों पर चर्चा के दौरान, पाटिल ने कहा कि निजी चीनी मिलें अपने परिसर में वेइंग ब्रिज लगाने की अनुमति नहीं दे रही हैं। कांग्रेस सदस्य लक्ष्मण सवदी के बोलने के दौरान जवाब देते हुए उन्होंने कहा, अगर वे अनुमति नहीं देंगे, तो हम वेइंग ब्रिज नहीं लगा सकते।
सवदी ने मंत्री की टिप्पणी पर आपत्ति जताते हुए कहा कि, सरकार के पास नियमों का पालन करवाने के लिए पर्याप्त अधिकार हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि, जो मिलें वेइंग ब्रिज लगाने का विरोध करती हैं, उनकी बिजली काट दी जाए। उन्होंने कहा, चीनी, माप-तौल और बिजली विभागों की एक बैठक बुलाएं और ऐसी इंडस्ट्रीज़ की बिजली काटने का फैसला करें। सरकार ने इन इंडस्ट्रीज़ को काम करने की अनुमति दी है, और वह उन्हें नियंत्रित भी कर सकती है।
विपक्ष के नेता आर. अशोक ने भी इस आलोचना का समर्थन करते हुए मंत्री से कहा कि सरकार लाचारी का बहाना नहीं बना सकती।उन्होंने कहा, आप सरकार हैं।आपके पास किसी फैक्ट्री को ज़ब्त करने की शक्ति है।मागाडी से कांग्रेस विधायक एच.सी. बालकृष्ण ने भी सवाल उठाया कि, गैर-सहयोगी मिलों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है।
पाटिल ने सदन को बताया कि, 12 वेइंग ब्रिज लगाने के लिए फंड जारी कर दिया गया है, जिनका प्रबंधन या तो किसान संघ या किसान उत्पादक संगठन करेंगे, और इसके लिए टेंडर जारी कर दिए गए हैं। उन्होंने आगे कहा कि, सरकार ने किसानों को वजन में हेरफेर की घटनाओं की रिपोर्ट करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए 5 लाख रुपये के इनाम की घोषणा की है, लेकिन कहा कि कोई भी किसान जानकारी लेकर आगे नहीं आया है।
इससे पहले, सवदी ने चेतावनी दी थी कि जब तक चीनी के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में संशोधन नहीं किया जाता, तब तक सहकारी चीनी मिलों को बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि, सहकारी मिलें चीनी के मौजूदा MSP और गन्ने के लिए उचित और लाभकारी मूल्य (FRP) के तहत निजी मिलों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में असमर्थ हैं, और सुझाव दिया कि केंद्र सरकार सहकारी चीनी मिलों का अधिग्रहण कर सकती है।
जनता दल (सेक्युलर) के विधायक शरणगौड़ा कंदकुर ने सरकार से उत्तरी कर्नाटक के लिए एक अलग बजट बनाने का आग्रह किया।उन्होंने संतुलित क्षेत्रीय विकास सुनिश्चित करने के लिए पांच साल की अवधि में हर साल एक सेक्टर—जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, इंफ्रास्ट्रक्चर और सिंचाई—को प्राथमिकता देकर केंद्रित विकास का प्रस्ताव दिया।

















