कोल्हापुर:गन्ने की फसल में बड़े पैमाने पर फूल आने से उपज का नुकसान होने की संभावना

कोल्हापुर (महाराष्ट्र): जिले में गन्ना उगाने वाले किसान फसलों में फूल आने से चिंतित हैं, जिससे वजन में काफी कमी और चीनी की मात्रा कम हो रही है। महाराष्ट्र के चीनी कमिश्नरेट के अनुसार, 191 चीनी मिलों में पेराई का सीजन शुरू हो गया है, जिनकी पेराई क्षमता 10,03,050 मीट्रिक टन प्रति दिन है। 21 दिसंबर तक, 44.606 मिलियन मीट्रिक टन गन्ने की पेराई पूरी हो चुकी है, जिससे 38.021 मिलियन क्विंटल चीनी का उत्पादन हुआ।

टाइम्स ऑफ़ इंडिया से बात करते हुए, कुडित्रे (तहसील – करवीर) के एक गन्ना किसान अतुल सावे ने कहा, जो गन्ना ज़्यादा बारिश, बादल वाले मौसम और बाढ़ जैसी आपदाओं के साथ-साथ हुमनी और मावा कीड़ों के हमलों से बच गया है, उसका डंठल टूटने से वजन कम होना तय है। हमने चीनी मिल से गन्ने की कटाई जल्दी शुरू करने की मांग की है। जिस गन्ने में ज़्यादा फूल आएंगे, उसकी उपज और चीनी की मात्रा उतनी ही कम होगी, जिससे किसानों को नुकसान होगा। गन्ने का वजन जितना ज्यादा होगा, किसानों को उतना ही ज़्यादा फायदा होगा।

चीनी उद्योग के विशेषज्ञों ने कहा कि, इस साल मौसम में लगातार बदलाव, नवंबर के आखिर तक बेमौसम बारिश और चीनी पेराई का सीजन शुरू होने में देरी के कारण बड़े पैमाने पर फूल आए हैं। सांगली जिले के शिराला में विश्वासराव नाईक चीनी मिल के सचिव सचिन पाटिल ने कहा, फूल आना फसल की परिपक्वता का चरण है, जो गन्ने की ग्रोथ को रोक देता है, जिसके बाद फसल खोखली होने लगती है। इस साल, बारिश मई के मध्य में शुरू हुई और नवंबर तक जारी रही। चूंकि गन्ना अपनी बीज की किस्म के आधार पर 12 से 16 महीने की फसल है, इसलिए अक्टूबर और नवंबर के आखिर तक हुई बारिश से इसकी कटाई में देरी होती है। गन्ने में इस तरह फूल आने से किसानों को लगभग 5% उपज का नुकसान होगा।

चीनी पेराई का सीजन देर से शुरू होने के कारण गन्ना काटने वालों को चीनी मिलों से एडवांस के तौर पर ली गई रकम चुकाने को लेकर भी चिंता बढ़ रही है। बाढ़ से प्रभावित कृषि बेल्ट इलाके में स्थिति गंभीर है। कोल्हापुर के राजर्षी शाहू महाराज एग्रीकल्चर कॉलेज के एसोसिएट डीन डॉ. अशोकराव पिसाल ने कहा, अगर गन्ने की फसल पकने के बाद 1.5 से 2 महीने से ज़्यादा खेत में रहती है, तो गन्ने फट जाते हैं और अंदर से खोखले होने लगते हैं। उसमें मौजूद चीनी सड़कर ग्लूकोज और फ्रुक्टोज में बदल जाती है, जिससे चीनी निकालने की मात्रा कम हो जाती है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here