पुणे: चीनी आयुक्तालय द्वारा ‘RRC’ की कार्रवाई के तुरंत बाद, राज्य की 16 चीनी मिलों ने किसानों के बैंक खातों में बकाया एफआरपी राशि जमा कर दी है। राज्य में 200 चीनी मिलों ने 2024-25 गन्ना पेराई सत्र के दौरान किसानों से गन्ना खरीदा था। आयुक्तालय के अनुसार, किसानों को 411 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया गया है और इसलिए, आयुक्तालय ने 28 मिलों को राजस्व वसूली प्रमाणपत्र (आरसीसी) जारी किए।
एग्रोवन में प्रकाशित एक खबर के अनुसार, सोलापुर जिला ‘RRC’ की कार्रवाई के लिए चीनी आयुक्तालय के रडार पर है। इस जिले की 15 मिलों पर आरआरसी की कार्रवाई हुई है। हालांकि, कार्रवाई होते ही इनमें से कुछ मिलों ने किसानों का पैसा चुका दिया। इनमें लोकमंगल एग्रो, सोलापुर (17.6 करोड़ रुपये), लोकमंगल शुगर, दक्षिण सोलापुर (50 करोड़ रुपये), संत दामाजी, सोलापुर (35.8 करोड़ रुपये), धाराशिव शुगर, सोलापुर (5.72 करोड़ रुपये), अवताडे शुगर, सोलापुर (23.09 करोड़ रुपये), भैरवनाथ शुगर लवंगी, सोलापुर (1.27 करोड़ रुपये) और भैरवनाथ शुगर आलेगांव, सोलापुर (2.95 करोड़ रुपये) शामिल हैं। इसके अलावा, राज्य के अन्य हिस्सों में स्थित मिलों, जैसे स्वामी समर्थ शुगर, अहिल्यानगर (11.58 करोड़), खंडाला सासाका, सतारा (26.80 करोड़), किसानवीर, सतारा (57.43 करोड़), जय महेश, बीड (18.66 करोड़), गंगामाई, अहिल्यानगर (42.10 करोड़), कर्मयोगी शंकरराव पाटील सासाका, पुणे (8.58 करोड़), डेक्कन शुगर, यवतमाल (1.11 करोड़), भीमाशंकर शुगर, धाराशिव (6.91 करोड़) और पैनगंगा, बुलढाणा (2.74 करोड़) ने भी FRP जमा किया है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, आयुक्तालय के सूत्रों ने बताया कि, राज्य की 200 चीनी मिलों में से 135 ने 100 प्रतिशत एफआरपी का भुगतान कर दिया है। इस वर्ष FRP का भुगतान न करने वाली कुल 65 मिलों के खिलाफ आरआरसी कार्रवाई के नोटिस जारी किए गए थे। इनमें से 28 मिलों के खिलाफ आरआरसी कार्रवाई की गई। जानबूझकर FRP रोके रखने वाली मिलों की एक अलग सूची तैयार की गई है। आयुक्तालय बकाया भुगतान के लिए उनसे संपर्क कर रहा है। कुछ मिलों को 31 जुलाई तक अपना बकाया चुकाना होगा। उसके बाद, हम 8 अगस्त को एक और सुनवाई करेंगे और फिर समीक्षा करेंगे कि किन मिलों पर आरआरसी कार्रवाई की जाएगी। गन्ना मूल्य नियंत्रण बोर्ड के सदस्य प्रो. सुहास पाटिल ने एग्रोवन से बात करते हुए कहा कि किसानों के एफआरपी बकाया के लिए आरआरसी कार्रवाई समय पर नहीं की जाती है। इसे जानबूझकर 3-4 महीने तक टाला जाता है। हमारी मांग है कि, आरआरसी की कार्रवाई 45 दिनों के भीतर पूरी की जाए और निदेशक मंडल और कार्यकारी निदेशक या प्रबंध निदेशक के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की जाए।