मुंबई: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मेसर्स केजीएस शुगर एंड इंफ्रा कॉर्पोरेशन लिमिटेड और अन्य से जुड़े 350 करोड़ रुपये के बैंक धोखाधड़ी मामले में महाराष्ट्र में कई स्थानों पर तलाशी अभियान चलाया है। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी।
केंद्रीय एजेंसी द्वारा 23 मई को की गई छापेमारी, धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के तहत की गई। केजीएस शुगर एंड इंफ्रा कॉरपोरेशन लिमिटेड और उसके निदेशकों द्वारा कथित तौर पर बड़े पैमाने पर वित्तीय धोखाधड़ी की चल रही जांच के तहत नासिक, कोपरगांव (शिरडी) और ठाणे में परिसरों की तलाशी ली गई।
जांच इस आरोप पर केंद्रित थी कि, कंपनी ने जाली और काल्पनिक दस्तावेजों का उपयोग करके धोखाधड़ी से 350 करोड़ रुपये से अधिक का बैंक ऋण हासिल किया। इस निधि को कथित तौर पर निजी लाभ और संपत्ति के अधिग्रहण के लिए डायवर्ट और गबन किया गया था। अधिकारियों के अनुसार, छापेमारी के दौरान ईडी के अधिकारियों ने 70.39 लाख रुपये नकद, लगभग 1.36 करोड़ रुपये मूल्य के सोने के आभूषण, एक महंगी लग्जरी कार, 10 लाख रुपये मूल्य के डीमैट खाते और शेयर, कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, बेनामी संपत्तियों से जुड़े दस्तावेज और अन्य आपत्तिजनक रिकॉर्ड सहित कई संपत्तियां बरामद कीं और उन्हें फ्रीज कर दिया।
ईडी की जांच जालना पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर और उसके बाद के आरोपपत्र पर आधारित है। मामले में केजीएस शुगर एंड इंफ्रा कारपोरेशन लिमिटेड, इसके निदेशक दिनकर एस. बोडके और अन्य पर धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश, जाली दस्तावेजों का उपयोग और आपराधिक कदाचार सहित कथित अपराधों के लिए नामजद किया गया है। ईडी के अनुसार, केजीएस शुगर ने केनरा बैंक के नेतृत्व वाले बैंकों के एक संघ से ऋण प्राप्त किया। जांचकर्ताओं ने आरोप लगाया कि, फंड को शेल संस्थाओं और राउंड-ट्रिपिंग लेनदेन के एक जटिल नेटवर्क के माध्यम से भेजा गया था, जिसे सिविल और इंजीनियरिंग, खरीद, निर्माण (ईपीसी) ठेकेदारों के साथ वैध व्यापारिक सौदों के रूप में छिपाया गया था। मामले की आगे की जांच चल रही है।