मुंबई: यशवंतराव चव्हाण केंद्र में महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक लि. द्वारा आयोजित ‘सहकारिता सशक्तिकरण और राज्य सरकार की नीति’ विषय पर एक सेमिनार में बोलते हुए पूर्व कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा, महाराष्ट्र में सभी सहकारी चीनी मिलों की स्थिति काफी खराब हो गई है। प्रदेश में पहले, 80 प्रतिशत सहकारी और 20 प्रतिशत निजी मिलें थीं। लेकिन, अब 50 प्रतिशत कारखाने निजी हैं। मुख्यमंत्री से अनुरोध है कि, वे एक आयोग गठित कर इस सहकारी चीनी मिलों का अध्ययन करें। हमें देखना चाहिए कि वास्तव में समस्याएं क्या हैं।
पवार ने कहा, दक्कन विद्रोह के दौरान जब संघर्ष हुआ, तो अंग्रेजों ने किसानों की पीड़ा को समझा और समाधान निकाला। उस समय किसानों को साहूकारों और व्यापारियों से कर्ज लेना पड़ता था, लेकिन जब ये बंद हो गए तो उन्हें सहकारी समितियों से कर्ज मिलना शुरू हो गया। पहले यहां कोई चीनी मिल नहीं थी, सिर्फ गुड़ का कारोबार होता था। एक व्यापारी गुड़ का व्यापार करता था और उस बाजार पर उसका दबाव था, लेकिन इसे बदला गया और विकल्प के रूप में इस राज्य सहकारी बैंक की स्थापना की गई।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि,चीनी मिलें में कोई कारखाना केवल चीनी पर नहीं चल सकता। अब हमें चीनी से जुड़े अन्य व्यवसाय भी करना चाहिए। सहकारी मिलों में व्यावसायिक कार्य नहीं देखा जाता। उस क्षेत्र में बड़ी संख्या में सैडलबैक देखे जा रहे हैं। सहयोग का एक महत्वपूर्ण तत्व सहकारी संस्थाएं हैं। उन्होंने यह भी बताया कि हम स्व-पुनर्विकास योजना का भी क्रियान्वयन कर रहे हैं। इस कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी उपस्थित थे।