अगले सीज़न में महाराष्ट्र में 118 लाख मीट्रिक टन चीनी उत्पादन की संभावना: WISMA अध्यक्ष बी. बी. ठोंबरे

पुणे : वेस्ट इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (WISMA) के अध्यक्ष बी. बी. ठोंबरे ने कहा कि, आगामी सीजन 2025-26 में महाराष्ट्र में लगभग 1200 लाख मीट्रिक टन गन्ना पेराई होने की उम्मीद है। जबकि चीनी का उत्पादन 130 लाख मीट्रिक टन होने का अनुमान है। अगर लगभग 12 लाख टन चीनी को एथेनॉल में परिवर्तित किया जाता है, तो वास्तविक चीनी उत्पादन 118 लाख टन तक पहुँच जाएगा।

उन्होंने कहा कि, केंद्र सरकार ने अनाज से एथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा दिया है। बिहार में मक्का और पंजाब-हरियाणा में चावल का उत्पादन अधिक होता है। यह उन राज्यों के लिए एक अवसर है, जो मक्का और चावल उत्पादन में अग्रणी हैं। उन्होंने कहा कि, विदर्भ-मराठवाड़ा में गन्ने के साथ-साथ सोयाबीन का भी बड़ा रकबा है। सोयाबीन को न्यूनतम समर्थन मूल्य जितना भी दाम नहीं मिलता। हालांकि, मक्के का प्रति क्विंटल भाव 1,700 से 1,800 रुपये से बढ़कर 2,400 रुपये तक पहुँच गया है। इसलिए मराठवाड़ा और पश्चिमी महाराष्ट्र में भी मक्के का उत्पादन बढ़ाने के लिए अनुकूल स्थिति है।

उन्होंने कहा कि, मक्के का भाव 2,200 से 2,400 रुपये के बीच रहने पर ही कारखानों के लिए मक्के से इथेनॉल बनाना आर्थिक रूप से किफायती हो सकेगा। जिससे गन्ना पेराई सत्र समाप्त होने के बाद अन्य समय में छह महीने तक कारखानों में इथेनॉल उत्पादन जारी रखना संभव हो सकेगा। चीनी परिसर स्थित विस्मा कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में विस्मा के पांडुरंग राउत, पूर्व चीनी आयुक्त शेखर गायकवाड़ आदि उपस्थित थे।

‘नॅचरल शुगर’ में अनाज से एथेनॉल बनाने की पहली परियोजना

लातूर स्थित नॅचरल शुगर मिल में राज्य में अनाज से एथेनॉल उत्पादन की 100 किलोलीटर प्रतिदिन की परियोजना शुरू करने का उल्लेख करते हुए, ठोंबरे ने कहा कि देश में अनाज से एथेनॉल बनाने वाली 265 डिस्टिलरी कार्यरत हैं। ये डिस्टिलरी ईंधन कंपनियों को 60 प्रतिशत एथेनॉल की आपूर्ति करती हैं, जबकि 40 प्रतिशत आपूर्ति चीनी मिलों द्वारा होती है। अनाज से एथेनॉल उत्पादन की परियोजना में नई मशीनरी लगाने पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त लागत आती है।

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