महाराष्ट्र की चीनी मिलों को दोहरे-फ़ीड एथेनॉल उत्पादन के लिए सरकारी मंज़ूरी से मिला जीवनदान

मुंबई : महाराष्ट्र सरकार ने 23 जुलाई 2025 को राज्य की चीनी-आधारित एथेनॉल इकाइयों को विभिन्न खाद्यान्नों, मुख्यतः मक्का और टूटे चावल से एथेनॉल उत्पादन की अनुमति दे दी। चीनी उद्योग ने राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति के अनुरूप इसके लिए कई बार अनुमति मांगी है।नई नीति डिस्टिलरियों को हर बार कई मंज़ूरी लिए बिना विभिन्न फीडस्टॉक्स के बीच स्विच करने की अनुमति देती है, जिससे चीनी सीज़न समाप्त होने के बाद भी, लगभग पूरे वर्ष एथेनॉल उत्पादन सुनिश्चित होता है।

सरकार का यह महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णय राज्य में अधिक एथेनॉल उत्पादन सुनिश्चित करेगा, जिससे उच्च मिश्रण लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलेगी। जवाहर एसएसकेएम के प्रबंध निदेशक मनोहर जोशी ने भी इसी भावना का समर्थन करते हुए कहा कि, एथेनॉल के लिए दोहरे फ़ीड की अनुमति देने का राज्य सरकार का निर्णय प्रभावशाली है, क्योंकि राज्य की चीनी मिलें पिछले दो सीज़न में घाटे में चल रही हैं, और पेराई अवधि 150 दिनों से घटकर 90 दिन रह गई है।

जोशी ने आशा व्यक्त की कि, नई नीति और अनुकूल वर्षा के कारण गन्ने की पैदावार में सुधार होगा। उन्होंने कहा, मुझे उम्मीद है कि इस फैसले से यह सुनिश्चित होगा कि आने वाले चीनी सीजन में चीनी मिलें 140 दिन और डिस्टिलरी 270 दिन चलेंगी। अच्छी बारिश का गन्ने की फसल पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। अधिक चीनी उत्पादन और इथेनॉल उत्पादन के लिए दोहरी फीडिंग से राज्य में डिस्टिलरी का सीजन लंबा चलेगा।

‘विस्मा’ के अध्यक्ष बी. बी. ठोंबरे ने कहा कि, यह एक लंबे समय से प्रतीक्षित फैसला था जिससे एथेनॉल उद्योग को अपने फीडस्टॉक्स में विविधता लाने में मदद मिलेगी।उन्होंने आगे कहा, यह नीति महाराष्ट्र के चीनी उद्योग को एथेनॉल आपूर्ति वर्ष 2025-26 तक 20% के राष्ट्रीय मिश्रण लक्ष्य तक पहुँचने में मदद करेगी। यह चीनी मिलों को उत्पादन बढ़ाने, घाटे को कम करने और दीर्घकालिक स्थिरता में मदद करने के लिए भी सशक्त बनाएगी।

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