मुंबई: महाराष्ट्र की चीनी मिलें अत्यधिक उत्पादन, कम मांग और किसानों को समय पर एफआरपी (उचित और लाभकारी मूल्य) का भुगतान करने की चुनौती के कारण वित्तीय संकट का सामना कर रही हैं। मिलें अब वित्तीय स्थिरता खोजने का प्रयास कर रही है, और कई मिलों ने अब कम्प्रेस्ड बायोगैस (सीबीजी) संयंत्र स्थापित करने की योजना बनाई है।
वसंतदादा शुगर इंस्टीट्यूट (वीएसआई) द्वारा हाल ही में आयोजित एक बैठक में चीनी मिल मालिकों ने सीबीजी संयंत्रों पर चर्चा की।
द हिन्दू बिजनेस लाइन डॉट कॉम में प्रकाशित खबर के मुताबिक, ‘वीएसआई’ के अध्यक्ष शरद पवार ने चीनी मिलों को सीजीबी में अवसरों के बारे में जानकारी दी और कहा कि, राज्य में चीनी मिलों में हर साल 1.5 लाख टन सीबीजी उत्पन्न करने की क्षमता है। जिससे मिलों को अतिरिक्त 700 करोड़ रुपये की कमाई हो सकती है, साथ ही ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में दमदार कदम साबित हो सकता है।
पवार ने कहा कि, चीनी मिलों को आय के वैकल्पिक स्रोतों की तलाश करनी होगी क्योंकि अकेले चीनी उत्पादन से नुकसान की भरपाई में मदद नहीं मिलेगी।उन्होंने कहा की, 5,000 कंप्रेस्ड बायो-गैस संयंत्र स्थापित करने के लिए 2 लाख करोड़ रुपये के निवेश की उम्मीद है। ‘वीएसआई’ के महानिदेशक शिवाजीराव देशमुख ने कहा कि, राज्य में भीमा चीनी मिल पायलट सीबीजी प्लांट स्थापित कर रही है और अधिक मिलें इस पहल में शामिल होंगी।
व्हाट्सप्प पर चीनीमंडी के अपडेट्स प्राप्त करने के लिए, कृपया नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें.
WhatsApp Group Link












