नई दिल्ली : मित्सुई केमिकल्स कंपनी के सीईओ हाशिमोटो ओसामू ने शुक्रवार को कहा की, वैश्विक पेट्रोकेमिकल बाजार में अधिक आपूर्ति के जवाब में प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने के लिए अपने नेफ्था क्रैकर्स में फीडस्टॉक के रूप में एथेनॉल के उपयोग का अध्ययन कर रही है। एशिया पेट्रोकेमिकल उद्योग सम्मेलन के दौरान रॉयटर्स से बात करते हुए मित्सुई केमिकल्स के अध्यक्ष और सीईओ हाशिमोटो ओसामू ने कहा, हमारे पारंपरिक क्रैकर्स को पूरी तरह से बदलना मुश्किल है, इसलिए हम उन्हें एथेनॉल का उपयोग करने के लिए संशोधित करने का अध्ययन कर रहे हैं।
जापानी फर्म इस क्षेत्र के अन्य उत्पादकों में शामिल हो गई है जो लाभ मार्जिन पर बढ़ते दबाव के जवाब में इथेन सहित पारंपरिक नेफ्था के विकल्प तलाश रहे हैं। पेट्रोकेमिकल क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि (विशेष रूप से चीन से) ने इस क्षेत्र पर भारी असर डाला है। ओसामू ने भविष्यवाणी की कि, जापान का पेट्रोकेमिकल उद्योग 2030 तक चल रही बाजार चुनौतियों से प्रेरित होकर और अधिक समेकन से गुजर सकता है।
उन्होंने कहा कि, पेट्रोकेमिकल मार्जिन में सुधार आने में तीन से चार साल लग सकते हैं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि चीन में नए उत्पादन में कितनी कमी आती है। कंपनी के लिए व्यापार की गतिशीलता भी चिंता का विषय बनी हुई है, खासकर जापानी निर्यात पर टैरिफ से उत्पन्न जोखिम, जो पेट्रोकेमिकल उत्पादों की मांग को प्रभावित कर सकता है।ओसामू ने कहा, स्थिति अस्थिर है, इसलिए हम घटनाक्रम पर बारीकी से नजर रख रहे हैं। अब तक, हमारे ऑटोमोटिव ग्राहकों पर इसका कोई असर नहीं पड़ा है, लेकिन अगर इसमें बदलाव होता है, तो अमेरिका को हो रहे हमारे निर्यात को झटका लग सकता है।