नई दिल्ली : केंद्रीय गृह मंत्री एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने हाल ही में नई दिल्ली में राष्ट्रीय सहकारिता नीति – 2025 का अनावरण किया। ‘राष्ट्रीय सहकारिता नीति – 2025’ का उद्देश्य भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘सहकार से समृद्धि’ के दृष्टिकोण को साकार करना है। इसके तहत, लोगों की आकांक्षाओं और संसाधनों को सहकारी प्रणाली के साथ एकीकृत किया जाएगा, ताकि सहकारी क्षेत्र भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में महत्वपूर्ण योगदान दे सके और समावेशी विकास का एक नया युग शुरू हो सके।
यह नीति सदस्यों को उच्च आय अर्जित करने के लिए एक सहायक संरचना के रूप में जीवंत और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर सहकारी समितियों की परिकल्पना करती है। यह एक जीवंत सहकारी पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने और इसके बहुआयामी विस्तार को लक्ष्य प्राप्ति के प्रमुख मार्गों के रूप में पहचानती है। राष्ट्रीय सहकारिता नीति, चीनी सहकारी समितियों को मक्का सहित वैकल्पिक फीडस्टॉक का उपयोग करके एथेनॉल उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करेगी ताकि एथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम को समर्थन दिया जा सके और कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता कम की जा सके।2021 में अपनी स्थापना के बाद से, सहकारिता मंत्रालय ने सहकारी चीनी मिलों को बढ़ावा देने के लिए कई पहल की हैं।
प्रमुख पहलों में शामिल हैं:
सहकारी चीनी मिलों का सुदृढ़ीकरण –
i. किसानों को उचित और लाभकारी या राज्य परामर्शित मूल्य तक उच्च गन्ना मूल्य का भुगतान करने पर अतिरिक्त आयकर से राहत,
ii. 2016-17 से पहले की अवधि के लिए गन्ना किसानों को किए गए भुगतान को व्यय के रूप में दावा करने की अनुमति,
iii. शीरे पर जीएसटी 28% से घटाकर 5%, आदि।
राष्ट्रीय सहकारिता नीति – 2025 के अनावरण समारोह को संबोधित करते हुए, केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि सुरेश प्रभु (पूर्व केंद्रीय मंत्री और नई सहकारिता नीति की मसौदा समिति के अध्यक्ष) के नेतृत्व में, 40 सदस्यीय समिति ने विभिन्न हितधारकों के साथ बातचीत के बाद देश के सहकारी क्षेत्र के लिए एक व्यापक और दूरदर्शी सहयोग नीति प्रस्तुत की है। सहकारिता मंत्री ने कहा कि सहकारिता के बेहतर भविष्य के लिए 40 सदस्यीय समिति का गठन किया गया, जिसने क्षेत्रीय कार्यशालाएँ आयोजित की और सहकारी नेताओं, विशेषज्ञों, शिक्षाविदों, मंत्रालयों और अन्य सभी हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श करके नीति का मसौदा तैयार किया। समिति को लगभग 750 सुझाव प्राप्त हुए, 17 बैठकें हुईं और आरबीआई तथा नाबार्ड के साथ परामर्श के बाद नीति को अंतिम रूप दिया गया।
मंत्री अमित शाह ने कहा कि, नई सहकारिता नीति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘सहकार से समृद्धि’ के दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। उन्होंने कहा कि, मोदी सरकार ने 2027 तक भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा है। इसके साथ ही, भारत अपने 1.4 अरब नागरिकों के समावेशी विकास की भी जिम्मेदारी उठाता है। उन्होंने कहा कि, भारत का मूल विचार एक ऐसा मॉडल तैयार करना है जिसमें सभी का सामूहिक विकास हो, सभी का समान विकास हो और सभी के योगदान से राष्ट्रीय प्रगति हो।