कोल्हापुर: चालू सीजन में चीनी उत्पादन में गिरावट के बावजूद अगले सीजन के लिए बचा हुआ स्टॉक (Closing stock) 48.65 लाख टन रहने की संभावना है। National Federation of Cooperative Sugar Factories (NFCSF) ने जानकारी दी है कि, यह स्टॉक अक्टूबर और नवंबर 2025 के महीनों में घरेलू खपत की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त है। चीनी महासंघ ने भरोसा जताया है कि, अगले सीजन की शुरुआत तक देश में चीनी की कमी नहीं होगी और यह स्टॉक अक्टूबर और नवंबर के दो महीनों के लिए पर्याप्त हो सकता है।
देश में गन्ना उत्पादन में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक सबसे आगे हैं। देश का चीनी उत्पादन इन राज्यों के उत्पादन पर निर्भर करता है। पिछले साल पानी की कमी के कारण इन राज्यों में खेती कम हुई थी। साथ ही सीजन की शुरुआत में महाराष्ट्र और कर्नाटक में भारी बारिश के कारण जलभराव के कारण गन्ना उत्पादन में बड़ा नुकसान हुआ था। हालांकि, खेती कम होने के कारण गिरावट की उम्मीद थी, लेकिन वापसी की बारिश ने चीनी उत्पादन में लगभग बीस प्रतिशत की कमी की है। फिलहाल एक्स मिल चीनी के भाव 3,880 से 3,920 प्रति क्विंटल के बीच स्थिर हैं।
इस साल चीनी उत्पादन निराशाजनक रहा है, लेकिन अनुमान है कि अगला सीजन चीनी उत्पादन वृद्धि के लिहाज से अच्छा रहेगा। अगले साल 350 लाख टन तक चीनी का उत्पादन हो सकता है। इस साल गन्ना उत्पादक राज्यों में गन्ने की खेती में बढ़ोतरी से चीनी उत्पादन की वृद्धि पर सकारात्मक असर पड़ सकता है। चीनी उद्योग ने 2022-23 में 43 लाख टन चीनी को एथेनॉल उत्पादन में लगाया और इससे 369 करोड़ लीटर एथेनॉल का उत्पादन किया। 2023-24 में चीनी के कच्चे माल से बने एथेनॉल की आपूर्ति 270 करोड़ लीटर थी। यह गिरावट 2024-25 में भी जारी रही। इस साल एथेनॉल की आपूर्ति 250 करोड़ लीटर रहने का अनुमान है।
राष्ट्रीय सहकारी चीनी मिल संघ के अध्यक्ष, पूर्व मंत्री हर्षवर्धन पाटिल ने कहा कि मानसून की अनुकूल स्थिति और महाराष्ट्र तथा कर्नाटक जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों में गन्ने की खेती बढ़ने के बाद उम्मीदें बढ़ी हैं। इसके साथ ही केंद्र सरकार ने साल की शुरुआत में ही गन्ने के लिए बढ़ी हुई एफआरपी की घोषणा की है, जिससे किसानों का गन्ने की खेती की ओर झुकाव बढ़ा है। इससे अगले सीजन में चीनी उत्पादन बढ़ने की उम्मीद है।