पाकिस्तान: समर्थन मूल्य समाप्त होने के बाद चीनी उत्पादन में गिरावट

इस्लामाबाद : 2024 के अंत में, संघीय सरकार ने एक नए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) समझौता किया, और बदले में पाकिस्तान ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MPM) समाप्त कर दिया। इसके खासकर गेहूँ और चीनी उद्योग पर व्यापक परिणाम होने की आशंका थी। राष्ट्रीय सभा की खाद्य सुरक्षा संबंधी स्थायी समिति में, इन परिणामों को महसूस किया गया।संघीय मंत्री राणा तनवीर हुसैन ने बताया कि, पिछले साल चीनी का उत्पादन 76 लाख टन था, जबकि घरेलू माँग 63 लाख टन थी, जिससे 13 लाख टन का अधिशेष बचा, जिसका उद्योग पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा। इस साल चीनी उत्पादन 72 लाख टन होने का अनुमान था, लेकिन वास्तविक उत्पादन 58 लाख टन ही रहा।

उन्होंने कहा, सरकार ने चीनी की कीमतें 210 रुपये प्रति किलोग्राम से कम कर दी हैं, और चीनी निर्यात पर कोई सब्सिडी नहीं दी गई।” समर्थन मूल्य के बिना, अधिशेष से किसानों को ही नुकसान हुआ। समिति सदस्य राणा हयात ने अधिकारियों से किसानों को आगे चलकर कुछ सुरक्षा प्रदान करने का आग्रह किया। खाद्य सुरक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि, बाढ़ के कारण गेहूँ की कीमतें बढ़ी थीं, लेकिन अब नियंत्रण में हैं। राणा हयात ने सवाल उठाया कि चीनी की कीमतों को इसी तरह नियंत्रित क्यों नहीं किया जा रहा है, और चेतावनी दी कि पेराई सत्र के दौरान चीनी का आयात किसानों को नुकसान पहुंचा सकता है।

राणा तनवीर हुसैन ने आगे कहा कि, पिछले साल गन्ने का उत्पादन लक्ष्य से 10 लाख टन कम रहा। उन्होंने कहा, हमने अतिरिक्त चीनी निर्यात की अनुमति दी, जिससे 45 करोड़ डॉलर की विदेशी मुद्रा अर्जित हुई। अब हम 15 करोड़ डॉलर की चीनी का आयात कर रहे हैं, और कीमतों में वृद्धि माफिया के कारण हुई है। उन्होंने आगे बताया कि, इस साल गन्ने की बंपर फसल होने की उम्मीद है। मंत्री ने यह भी बताया कि, समर्थन मूल्य न मिलने के कारण गेहूं का उत्पादन कम हुआ है और इस साल इसमें और कमी आने की उम्मीद है। सरकार ने गेहूं के समर्थन मूल्य बहाल करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से परामर्श करने का फैसला किया है और खाद्य पदार्थों पर प्रतिबंधों में ढील देने के लिए आईएमएफ को मनाने की कोशिश कर रही है।

थोक किराना व्यापारी संघ ने आयात-आधारित दृष्टिकोण की लगातार आलोचना की है और इसके बजाय सरकार से जमाखोरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का आग्रह किया है। उन्होंने गोदामों का निरीक्षण करने और अवैध भंडारण पर कार्रवाई करने की मांग की है, यह तर्क देते हुए कि इस तरह के प्रवर्तन से स्थानीय बाजार में चीनी की कीमतों में काफी कमी आ सकती है।

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