पीयूष गोयल ने निर्यातकों से भारतीय व्यापारियों की दृश्यता बढ़ाने के लिए मंच बनाने का किया आग्रह

नई दिल्ली: केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने निर्यातकों से ऐसी सुविधा बनाने का आग्रह किया है, जिससे विदेशी खरीदार भारतीय व्यापारियों को आसानी से खोज सकें, ताकि देश के निर्यात को और बढ़ावा मिल सके। नई दिल्ली में सभी निर्यात संवर्धन परिषदों (ईपीसी) और अन्य उद्योग संघों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक में पीयूष गोयल ने भारत के लिए उभरते वैश्विक अवसरों पर भी चर्चा की।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में, केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने लिखा, “सभी निर्यात संवर्धन परिषदों (ईपीसी) और उद्योग संघों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की और भारत के लिए उभरते वैश्विक अवसरों पर चर्चा की। साथ ही, उन्हें ऐसी सुविधा बनाने के लिए प्रोत्साहित किया, जिससे विदेशी खरीदार भारतीय निर्यातकों को आसानी से खोज सकें, ताकि हमारे देश के निर्यात को और बढ़ावा मिल सके।”

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा पारस्परिक टैरिफ घोषणाओं के बाद उत्पन्न वैश्विक व्यापार अनिश्चितताओं के बीच भारत निर्यात के लिए नए गंतव्य बनाने की कोशिश कर रहा है, इसलिए उद्योग हितधारकों और मंत्री के बीच बैठक महत्वपूर्ण है। मंत्री गोयल उभरते बाजारों में देश की मौजूदगी बढ़ाने और मौजूदा साझेदारों के साथ व्यापार संबंधों को मजबूत करने के लिए निर्यातकों के साथ परामर्श कर रहे हैं।

केंद्रीय मंत्री ने पहले ही 2030 तक 2 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के निर्यात का लक्ष्य दिया है। हाल ही में जारी आंकड़ों के अनुसार, भारत 2024-25 में 825 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निर्यात के आंकड़े तक पहुंच गया है, जो अब तक का सबसे बड़ा निर्यात है। वाणिज्य मंत्रालय के मासिक आंकड़ों से पता चलता है कि, भारत का कुल निर्यात, जिसमें माल और सेवाएं शामिल हैं, अप्रैल 2025 में 73.80 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया, जो पिछले साल इसी महीने के 65.48 बिलियन अमेरिकी डॉलर से 12.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।

आंकड़ों से पता चलता है कि, आयात और भी तेज़ गति से बढ़ा है, अप्रैल 2025 में कुल आयात बढ़कर 82.45 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया, जो अप्रैल 2024 में 71.25 बिलियन अमरीकी डॉलर से 15.7 प्रतिशत अधिक है। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, निर्यात और आयात में अंतर के कारण, चालू वर्ष में भारत का कुल व्यापार घाटा बढ़कर 8.65 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया। यह एक साल पहले के 5.77 बिलियन अमरीकी डॉलर से 50 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि है।

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