निजी चीनी उद्योग को ESY 2025-26 में एथेनॉल निविदा आवंटन में प्राथमिकता मिलें : ‘विस्मा’ की केंद्र सरकार से मांग

नई दिल्ली : वेस्ट इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (विस्मा) ने पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी को पत्र लिखकर निजी चीनी उद्योग ESY 2025-26 में एथेनॉल निविदा आवंटन में प्राथमिकता देने की मांग की है। पत्र में कहा है की, चीनी उद्योग भारत सरकार (PNG) तथा DFPD द्वारा चीनी उद्योग को दिए गए सहयोग के लिए आभारी हैं, जिससे मिलें राष्ट्रीय एथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम (EBP) में OMCs के माध्यम से एथेनॉल की बिक्री कर गन्ना किसानों को समय पर भुगतान कर पाए हैं।

पत्र में आगे कहा है की, पिछले वर्ष की निविदा (ESY-2024-25) में-

1) “राष्ट्रीय सहकारी चीनी कारखाना संघ लिमिटेड (NFCSF) के अंतर्गत सहकारी चीनी मिलों (CSM) द्वारा प्रस्तावित मात्राओं को प्रथम वरीयता दी जाएगी और आवंटन हेतु पूर्णतः स्वीकार किया जाएगा (आवश्यकता तक)।

2) LTOA के नियमों और शर्तों के अनुसार समर्पित एथेनॉल प्लांट्स (DEP) द्वारा प्रस्तावित मात्राओं को द्वितीय वरीयता दी जाएगी और शेष आवश्यकता तक आवंटन हेतु पूर्णतः स्वीकार किया जाएगा (अधिमान्य आवंटन हेतु मात्रा बोली निविदा के नियम और शर्तों को पूरा करने के अधीन)।

3) उपर्युक्त CSM और DEP मात्राओं पर विचार करने के बाद शेष आवश्यकता को पूरा करने के लिए,अन्य गैर-DEP विक्रेताओं द्वारा प्रस्तावित मात्राओं को निम्नलिखित फीडस्टॉक प्राथमिकता के अनुसार आवंटन हेतु विचार किया जाएगा, अर्थात चीनी / चीनी सिरप / गन्ने का रस → B-भारी मोलासेस → अन्य सभी फीडस्टॉक”।

पत्र में दावा किया गया की, महाराष्ट्र राज्य की निजी चीनी मिलों और निजी डिस्टिलरियों ने एथेनॉल क्षमता निर्माण ब्याज अनुदान कार्यक्रम के तहत 2018 से पिछले छह वर्षों के दौरान एथेनॉल उत्पादन क्षमता के अंतर्गत 15,000 करोड़ रुपये का भारी निवेश किया है और कच्चे तेल के आयात, विदेशी मुद्रा बचत, किसानों को गन्ने का समय पर भुगतान और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में बहुत योगदान दिया है। महाराष्ट्र राज्य की 141 निजी चीनी मिलें और डिस्टिलरी भारत सरकार के आत्मनिर्भर भारत मिशन में अथक सहयोग कर रही है।

‘विस्मा’ ने पत्र में कहा है की, भारत सरकार ने ऐतिहासिक रूप से देश भर में निजी और सहकारी चीनी मिलों के बीच कभी भी कोई भेदभाव नहीं किया है, चाहे वह चीनी प्रौद्योगिकी मिशन की शुरुआत से ही हो, चीनी विकास निधि, एसएमपी / एफआरपी गन्ना भुगतान, रियायती ऋण, चीनी निर्यात प्रोत्साहन और एथेनॉल क्षमता निर्माण ब्याज अनुदान योजनाएँ हो। हम समझते हैं कि, आगामी नए ESY 2025-26 निविदा में ओएमसी द्वारा नियमों और विनियमों का उल्लेख किया जा रहा है, निजी चीनी मिलों / डिस्टिलरी को CSM और DEP के बाद तीसरे स्तर पर रखा जाएगा। इससे निजी चीनी मिलों को भारी वित्तीय नुकसान और अन्याय होगा, क्योंकि महाराष्ट्र की अधिकांश चीनी मिलों में बड़ी संख्या में किसान इन कंपनियों में शेयरधारक हैं और गन्ना किसानों को समय पर भुगतान करने में अग्रणी हैं। कच्चा माल गन्ना ही है, जिसे गन्ना किसानों द्वारा निजी या सहकारी चीनी मिलों को उनकी सदस्यता और गन्ना भुगतान की संरचना, शीघ्रता, खेत से दूरी और सेवाओं के आधार पर आपूर्ति की जाती है।

डॉ. सी. रंगराजन समिति के सूत्र और महाराष्ट्र राज्य गन्ना मूल्य नियंत्रण अधिनियम-2013 के अनुसार, मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाले महाराष्ट्र बोर्ड द्वारा वार्षिक वित्तीय विवरणों के आधार पर अतिरिक्त आय का वितरण, महाराष्ट्र राज्य के चीनी आयुक्त द्वारा वार्षिक रूप से निगरानी किए जाने वाले गन्ना किसानों को राजस्व साझाकरण सूत्र (आरएसएफ) के माध्यम से अतिरिक्त आय वितरित की जा रही है।ओएमसी द्वारा रखी गई उपरोक्त तर्कहीन शर्तों के कारण, निजी मिलों को गन्ना आपूर्ति करने वाले गन्ना किसान, जिनमें एथेनॉल से पर्याप्त आय होती है, बेहतर भुगतान से वंचित रह जाएँगे।इस पृष्ठभूमि में, हम आपसे पुरज़ोर अपील और विनम्र निवेदन करते हैं कि निजी चीनी मिलों/डिस्टिलरीज़ को तृतीय श्रेणी में धकेलकर प्राथमिकता की उपरोक्त शर्तों की अपेक्षा न करें और राष्ट्रीय राजकोष, ग्रामीण अर्थव्यवस्था, कृषि और अंततः गन्ना किसानों को समय पर भुगतान में योगदान देने वाली निजी चीनी मिलों/डिस्टिलरीज़ के साथ न्याय करें।

‘चीनी मंडी’ से बात करते हुए ‘विस्मा’ के अध्यक्ष बी.बी. ठोंबरे ने कहा की, एथेनॉल निविदा आवंटन में निजी मिलों को भी प्राथमिकता मिलना काफी जरुरी है। केंद्र सरकार के E20 लक्ष को पूरा करने में निजी मिलों ने भी काफी बड़ा योगदान दिया है। महाराष्ट्र राज्य की 141 निजी चीनी मिलें और डिस्टिलरी भारत सरकार के आत्मनिर्भर भारत मिशन में अथक सहयोग कर रही है। कच्चे तेल के आयात, विदेशी मुद्रा बचत, किसानों को गन्ने का समय पर भुगतान और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में बहुत योगदान दिया है।इसलिए हमने केंद्र सरकार से निजी मिलों को भी एथेनॉल निविदा आवंटन में प्राथमिकता देने की मांग की है।

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