लुधियाना : भारत सरकार द्वारा पेट्रोल में एथेनॉल के मिश्रण को उल्लेखनीय रूप से बढ़ाने पर जोर दिए जाने के बीच, बुधवार को यहाँ लाधोवाल स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR)-भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान (IIMR) में ‘मक्का-आधारित बायोएथेनॉल और जलग्रहण क्षेत्र विकास के लिए प्रक्षेत्र कार्यान्वयन को सशक्त बनाना’ विषय पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण-सह-कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में 15 राज्यों के 78 जिलों में कार्यरत परियोजना से जुड़े कुल 27 प्रक्षेत्र कर्मियों ने भाग लिया। प्रतिभागियों ने अपने-अपने क्षेत्रों की प्रगति साझा की, जिसमें सफल प्रक्षेत्र हस्तक्षेप, किसानों की बढ़ती भागीदारी और उन्नत मक्का उत्पादन तकनीकों का प्रसार शामिल था।
आईसीएआर-आईआईएमआर के निदेशक, एचएस जाट ने वैज्ञानिक और लागत प्रभावी तरीकों से मक्का की उत्पादकता बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि, भारत सरकार का लक्ष्य वर्ष 2030 तक पेट्रोल में 30 प्रतिशत एथेनॉल मिश्रण (E30) प्राप्त करना है, जिसके लिए मक्का एक प्रमुख फीडस्टॉक के रूप में उभर रहा है। उन्होंने इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए क्षेत्र-आधारित नवाचारों और किसानों की अधिक भागीदारी के महत्व पर बल दिया। 2030 तक E30 मिशन को पूरा करने के लिए, भारत को 8-9 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर के साथ सालाना 65-70 मिलियन टन मक्का उत्पादन की आवश्यकता है। इसके लिए उच्च उपज देने वाली संकर किस्मों और मशीनीकरण की आवश्यकता होगी। यह कार्यक्रम “एथेनॉल उद्योगों के जलग्रहण क्षेत्रों में मक्का उत्पादन को बढ़ाना” नामक परियोजना के तहत आयोजित किया जा रहा है। कार्यशाला का उद्घाटन एच.एस. जाट की अध्यक्षता में हुआ। इस अवसर पर, एस.एल. जाट, पीएच. रोमेन शर्मा (सह-प्रमुख अन्वेषक) और संस्थान के अन्य वैज्ञानिक उपस्थित थे।