नई दिल्ली : चालू सीजन 2024-25 में जुलाई तक भारत का चीनी उत्पादन पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 18.38% घटकर 25.82 मिलियन टन रह गया है। राष्ट्रीय सहकारी चीनी कारखाना महासंघ लिमिटेड (NFCSF) के अनुसार, यह गिरावट प्रमुख चीनी उत्पादक राज्यों द्वारा कम उत्पादन की सूचना के कारण आई है।
PTI की रिपोर्ट के अनुसार, NFCSF का अनुमान है कि इस सीजन में कुल चीनी उत्पादन 26.11 मिलियन टन तक पहुँच जाएगा, जो 2023-24 सीजन में उत्पादित 31.9 मिलियन टन से कम है।वर्तमान में कर्नाटक और तमिलनाडु में जून से सितंबर तक विशेष पेराई कार्य चल रहे हैं, और कुल उत्पादन में कुछ अतिरिक्त टन की वृद्धि होने की उम्मीद है।
NFCSF ने यह भी बताया कि, भारत के सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में जुलाई तक उत्पादन घटकर 9.27 मिलियन टन रह गया, जो पिछले साल के 10.36 मिलियन टन से कम है। दूसरे सबसे बड़े उत्पादक महाराष्ट्र में भी उत्पादन में भारी गिरावट देखी गई, जहां उत्पादन 11 मिलियन टन से घटकर 8.09 मिलियन टन रह गया, जबकि कर्नाटक का उत्पादन 5.16 मिलियन टन से घटकर 4.06 मिलियन टन रह गया।
उत्पादन में यह गिरावट गन्ने की कम उपलब्धता, प्रतिकूल मौसम, एथेनॉल उत्पादन के लिए गन्ने के बढ़ते उपयोग और कीट एवं रोगों के प्रकोप के कारण हुई है। NFCSF को उम्मीद है कि अनुकूल मानसून, महाराष्ट्र और कर्नाटक में गन्ने की खेती में वृद्धि और सरकार द्वारा उचित एवं लाभकारी मूल्य में समय पर की गई वृद्धि के कारण 2025-26 सीजन में चीनी उत्पादन 35 मिलियन टन तक पहुंच जाएगा।
NFCSF ने सरकार से नीतिगत उपायों की मांग की है, जिनमें एथेनॉल खरीद मूल्यों में संशोधन, चीनी के लिए न्यूनतम विक्रय मूल्य में वृद्धि, और बढ़ती स्वास्थ्य जागरूकता के कारण प्रति व्यक्ति खपत में गिरावट को देखते हुए अतिरिक्त भंडार के प्रबंधन हेतु चीनी निर्यात की अनुमति शामिल है। NFCSF के प्रबंध निदेशक प्रकाश नाइकनवरे ने कहा, चीनी मिलों की वित्तीय स्थिति की रक्षा, ग्रामीण रोजगार को बनाए रखने और यह सुनिश्चित करने के लिए कि भारत इथेनॉल और सहकारी दोनों क्षेत्रों में निरंतर प्रगति करता रहे, ये कदम आवश्यक हैं।