पटना : बिहार में चीनी घोटाला मामले में 36 साल बाद फैसला आया है। कोर्ट ने 6 अभियुक्तों को दोषी करार दिया है। 18 दिसम्बर को सजा का ऐलान होगा। फर्जी फर्म के नाम पर चीनी बिक्री की गई थी जिसमें बाइक, स्कूटर और सरकार ट्रक पर चीनी की ढुलाई दिखाई गई थी। विशेष निगरानी कोर्ट में मामला चल रहा है।
हिंदुस्तान में प्रकाशित खबर के मुताबिक, इस 36 साल पुराने मामले में तत्कालीन प्रशासन प्रमुख नंद कुमार सिंह सहित छह को विशेष न्यायालय (निगरानी) ने दोषी करार दिया है। मामला पश्चिमी चंपारण के लौरिया चीनी मिल से फर्जीवाड़ा कर 997 बोरी चीनी बेचने का है। दोषी करार लोगों में बिहार स्टेट शुगर कारपोरेशन लिमिटेड की लौरिया इकाई के तत्कालीन प्रशासन प्रमुख नंद कुमार, तत्कालीन उपप्रबंधक उमेश प्रसाद सिंह, लिपिक सुशील कुमार श्रीवास्तव, शुगर केन लिपिक लालबाबू प्रसाद, चीनी बिक्री प्रभारी धीरेंद्र झा व लेखा पदाधिकारी अजय कुमार श्रीवास्तव शामिल हैं।
सेशन ट्रायल के बाद विशेष कोर्ट (निगरानी) के न्यायाधीश दशरथ मिश्र ने बुधवार को इन सबको दोषी करार दिया। सजा के बिंदू पर 18 दिसंबर को सुनवाई होगी। मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक निगरानी कृष्णदेव साह ने कोर्ट के समक्ष छह गवाहों को पेश किया। गवाहों में निगरानी के तत्कालीन डीआईजी कुमार एकले भी थे।
विशेष लोक अभियोजक ने बताया कि लौरिया चीनी मिल से सितंबर 1989 में फर्जीवाड़ा कर चीनी बेचने व राशि का गबन की बिहार स्टेट शुगर कारपोरेशन पटना और अन्य अधिकारियों से स्थानीय लोगों ने शिकायत की थी। इसकी जांच के बाद सभी को क्लीनचिट दे दी गई। इसके बाद स्थानीय लोगों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री से शिकायत की। तत्कालीन मुख्यमंत्री ने इसकी जांच निगरानी अन्वेषण ब्यूरो को करने का आदेश दिया था।


















