आयातित चीनी से श्रीलंकाई चीनी उद्योग के सामने गंभीर चुनौती

कोलंबो : लंका शुगर प्राइवेट लिमिटेड के कर्मचारी चेतावनी दे रहे हैं कि, आयातित सफेद चीनी को प्राथमिकता दिए जाने के कारण स्थानीय चीनी उद्योग गंभीर संकट और पतन के खतरे का सामना कर रहा है।उनका दावा है की, स्थानीय रूप से उत्पादित चीनी के लिए अपर्याप्त मूल्य और अपर्याप्त बाजार हिस्सेदारी सबसे बड़ी समस्या बनी हुई हैं। देश की सबसे बड़ी चीनी उत्पादक और पूरी तरह से सरकारी स्वामित्व वाली कंपनी लंका शुगर प्राइवेट लिमिटेड देश की चीनी की 10% आवश्यकता और एथेनॉल की 37% से अधिक मांग को पूरा करती है।

कंपनी सेवनगला और पेलवेट चीनी मिलों का संचालन करती है, जबकि अथिमाले चीनी मिल निजी है, और हिंगुराना चीनी मिल अर्ध-सार्वजनिक उद्यम है।किसानों का कहना है कि, लंका शुगर प्राइवेट लिमिटेड वर्तमान में बंद होने के संकट का सामना कर रही है, जो स्थानीय चीनी उत्पादों के लिए उचित मूल्य की कमी और अपर्याप्त बाजार हिस्सेदारी के कारण बंद होने के कगार पर है।

वर्तमान में, स्थानीय स्तर पर उत्पादित 35,000 मीट्रिक टन से अधिक चीनी गोदामों में फंसी हुई है।बाजार में बड़ी मात्रा में आयातित सफेद चीनी की आमद और उस पर आयात शुल्क हटाए जाने से स्थानीय उत्पादों की मांग में और कमी आ रही है।लंका शुगर कंपनी और अन्य स्थानीय चीनी मिलों के कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि, मिलें बंद होने का खतरा बढ़ रहा है।इन मिलों में कार्यरत 9,000 से अधिक लोगों और 100,000 से अधिक आश्रितों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।वे स्थानीय स्तर पर उत्पादित चीनी के लिए उचित मूल्य और आयातित चीनी के उचित विनियमन की मांग कर रहे हैं।

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