हापुड़ (उत्तर प्रदेश) : हापुड़ जिले के गन्ना किसानों को बड़ी राहत देनेवाली खबर है। अब मिलों द्वारा गन्ना भुगतान में होने वाली देरी का सामना नही करना पड़ेगा, क्योंकि सिंभावली और बैजनाथपुर शुगर मिल ने नियमानुसार गन्ना भुगतान करने और आगामी सत्र में मानकों के अनुसार संचालन की तैयारी कर ली हैं। मिल प्रबंधन और आइआरपी (दिवालियापन समाधान प्रक्रिया) के अधिकारी अपनी कार्ययोजना सोमवार को प्रस्तुत करेंगे। हापुड़, उत्तर प्रदेश के प्रमुख गन्ना उत्पादक जिलों में शामिल है। यहां गन्ने की प्रमुख खरीदारी सिंभावली और उसकी सहायक ब्रजनाथपुर शुगर मिल करती हैं। पिछले दिनों बैंकों की कर्ज अदायगी नहीं कर पाने के कारण मामला न्यायालय में चला गया था। उसके बाद से मिल का संचालन आइआरपी द्वारा गठित कमेटी के द्वारा किया जा रहा है।
जागरण में प्रकाशित खबर के अनुसार, पिछले साल का किसानों का गन्ना भुगतान अभी तक नहीं हो पाया है। वही अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में मिल में नया सत्र आरंभ होने वाला है। पूरा मामला आइआरपी के अधिकारियों के हाथों में है। वहीं किसानों की आइआरपी के अधिकारियों से मुलाकात नहीं हो पाती है। ऐसे में किसानों में भ्रम की स्थिति है कि उनके गन्ने का भुगतान कौन करेगा? ऐसे में किसानों ने अपना गन्ना दूसरे जिलों के शुगर मिल को देने की अपील करनी आरंभ कर दी है। किसानों का मानना है कि मिल के अधिकारियों और आइआरपी के अधिकारियों में सामंजस्य नहीं है। दोनों की खींचतान में किसानों का भुगतान अधर में लटका हुआ है। यदि इस हाल में मिल का संचालन होता है तो नए सत्र का भुगतान और बढ़ जाने से देनदारी ज्यादा होती जाएगी। ऐसे में मिल नीलाम होने की स्थिति में किसानों की परेशानी बढ़ सकती हैं।
अब मिल के अधिकारी और आइआरपी के अधिकारी सयुक्त रूप से किसानों के सामने गन्ना भुगतान और नए सत्र के संचालन पर अपनी रणनीति स्पष्ट करेंगे। मिल के पदाधिकारी दिनेश शर्मा का कहना है कि, चीनी बिक्री का 85 प्रतिशत का भुगतान किसानों को मानकों के अनुरूप दिया जा रहा है। आइआरपी के अधिकारियों के साथ ही सीईओ एसएच मिश्रा, जीएम अतुल शर्मा, एडवाइजर सतीश शर्मा, जीएम करन सिंह और दिनेश शर्मा किसानों के बकाया भुगतान और नए सत्र के संचालन पर पूरी प्रक्रिया को सोमवार को स्पष्ट करेंगे।