तमिलनाडु : भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद एवं गन्ना प्रजनन संस्थान (ICAR-SBI) के वैज्ञानिकों के. हरि, डी. पुथिरा प्रताप, पी. मुरली, ए. रमेश सुंदर और बी. सिंगारवेलु को ‘कृषि एवं संबद्ध विज्ञानों में नवाचार एवं प्रौद्योगिकी’ श्रेणी में प्रथम राष्ट्रीय कृषि विज्ञान पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वैज्ञानिकों को मृदा नमी सूचक (सॉइल मॉइश्चर इंडिकेटर) के आविष्कार के लिए यह पुरस्कार मिला। यह उपकरण किसानों के लिए जल संरक्षण हेतु मृदा नमी मापने हेतु डिज़ाइन किया गया है। आईसीएआर के 97वें स्थापना दिवस के अवसर पर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा प्रदान किया गया यह राष्ट्रीय पुरस्कार कृषि विज्ञान के क्षेत्र में तकनीकी नवाचार और प्रभाव को मान्यता प्रदान करता है।
डॉ. पुथिरा प्रताप के अनुसार, इस एसएमआई का विकास कृषक सहभागी कार्रवाई अनुसंधान परियोजना के तहत किया गया है, जिसे जल शक्ति मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित किया जाता है और केंद्रीय जल आयोग इसकी देखरेख करता है। शोध परीक्षणों से पता चला है कि, यह उपकरण लगभग 15% सिंचाई जल की बचत करने में सहायक हो सकता है। प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. हरि ने बताया कि एसएमआई की मदद से गन्ने की उपज 55.8 टन से बढ़कर 60.4 टन प्रति एकड़ प्रति वर्ष हो गई।
एसएमआई को टमाटर, बैंगन, मूंगफली, केले, मिर्च आदि सहित अन्य फसलों की खेती में भी प्रभावी पाया गया है। उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, हरियाणा और महाराष्ट्र उन राज्यों में शामिल हैं जो आगे चलकर अपनी जल संरक्षण परियोजनाओं में इस उपकरण को लागू करेंगे। एसएमआई मृदा विद्युत चालकता के माध्यम से काम करता है, जो नमी के स्तर का एक संकेतक है, और इसका व्यापक परीक्षण किया गया है।
हाल ही में विकसित कृषि मिशन में, तमिलनाडु के कुछ किसानों को एसएमआई का प्रदर्शन दिखाया गया, जिसे अब गन्ना कृषक के राष्ट्रीय व्यावसायिक मानक में शामिल किया गया है। गन्ना प्रजनन संस्थान के निदेशक पी. गोविंदराज ने बताया कि एसएमआई जैसे आवश्यक आविष्कार कृषि की दक्षता और स्थिरता को बेहतर बनाने में कैसे मदद करते हैं। एसएमआई के लिए एक पेटेंट दायर किया गया है और 22 कंपनियों को इसके चार प्रकार के डिजाइन बनाने का लाइसेंस दिया गया है, जिसमें आईसीएआर द्वारा पंजीकृत पहला डिज़ाइन भी शामिल है। हाल ही में एसएमआई का एक एंड्रॉइड-संगत संस्करण, डिजिटल सॉइल मॉइश्चर सेंसर, भी विकसित किया गया है।