IMF ने पाकिस्तान के गवर्नेंस सिस्टम की कड़ी आलोचना की; चीनी जैसे सेक्टर में आम लोगों के बजाय कुछ लोगों को फायदा पहुंचाने की कोशिश

इस्लामाबाद : इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) ने पाकिस्तान के गवर्नेंस सिस्टम की कड़ी आलोचना की है, जिसमें बताया गया है कि कैसे एलीट मैनिपुलेशन, कमजोर इंस्टीट्यूशन और पॉलिटिकल संरक्षण देश की इकोनॉमिक स्टेबिलिटी को कमजोर कर रहे हैं।डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, IMF का गवर्नेंस एंड करप्शन डायग्नोस्टिक असेसमेंट (GCDA) फंड के आम फाइनेंशियल नुस्खों से ध्यान हटाकर पाकिस्तान में करप्शन और इंस्टीट्यूशनल गिरावट के कॉम्प्रिहेंसिव इवैल्यूएशन पर केंद्रित करता है।

डॉन के अनुसार, IMF स्टडी कानून राज, पब्लिक प्रोक्योरमेंट, टैक्सेशन, फाइनेंशियल मैनेजमेंट और सरकारी कंपनियों (SOEs) में गवर्नेंस की बड़ी कमियों की पहचान करती है। रिपोर्ट में एक ऐसे गवर्नेंस माहौल के बारे में बताया गया है जिस पर असरदार पावर नेटवर्क का दबदबा है जो निजी फायदे के लिए पब्लिक रिसोर्स का इस्तेमाल करते हैं। इसमें कहा गया है कि एनर्जी, रियल एस्टेट, एग्रीकल्चर और चीनी जैसे सेक्टर में पॉलिसी बनाने का तरीका “एलीट कैप्चर” से बिगड़ा हुआ है, जहां ।

IMF का अनुमान है कि, अगर सही मायने में गवर्नेंस सुधार किए गए तो पाकिस्तान की GDP पांच साल में 6.5 परसेंट तक बढ़ सकती है। हालांकि, इनएफिशिएंसी, करप्शन और मिसमैनेजमेंट की कीमत आम नागरिकों को चुकानी पड़ रही है, जो बढ़ती महंगाई, खराब पब्लिक सर्विस और सीमित मौकों को झेल रहे हैं। फिस्कल गवर्नेंस खास तौर पर कमजोर बना हुआ है, जिसमें बजट एलोकेशन और असल खर्च के बीच बड़ा अंतर, ओपेक रीएलोकेशन प्रैक्टिस और मिनिस्ट्री में कमजोर इंटरनल ऑडिट हैं।

टैक्स सिस्टम में भी सिस्टमिक कमजोरियां हैं। IMF बड़े पैमाने पर टैक्स चोरी और सेलेक्टिव एनफोर्समेंट की आलोचना करता है, लेकिन यह बताने से बचता है कि कैसे उसकी अपनी पॉलिसी-ड्रिवन टैक्स बढ़ोतरी ने फॉर्मल सेक्टर को नुकसान पहुंचाया है और बिजनेस को इनफॉर्मलिटी में धकेल दिया है। इसी तरह, रिपोर्ट में SOEs के मिसमैनेजमेंट का ज़िक्र है, खासकर एनर्जी सेक्टर में, जहां पॉलिटिकल दखल, खराब ओवरसाइट और सर्कुलर डेट बिना रोक-टोक के जारी है, जैसा कि डॉन ने बताया है।

IMF एक 15-पॉइंट रिफॉर्म प्लान प्रपोज करता है, जिसमें डिजिटल प्रोक्योरमेंट, टैक्स सिंपलिफिकेशन, पार्लियामेंट्री ओवरसाइट और मजबूत एंटी-करप्शन इंस्टीट्यूशन की अपील की गई है। फिर भी, IMF का कहना है कि, पाकिस्तान की सबसे बड़ी चुनौती उसकी पॉलिटिकल विल की कमी है। मौजूदा सिस्टम से फायदा उठाने वाले मजबूत हितों ने बार-बार सुधार की कोशिशों को पटरी से उतारा है। IMF के नतीजे एक वेक-अप कॉल की तरह हैं। डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान का गवर्नेंस संकट अब कोई टेक्निकल मुद्दा नहीं है, बल्कि एक स्ट्रक्चरल संकट है जिसे वे लोग बढ़ा रहे हैं जो इसकी नाकामी से फायदा उठा रहे हैं।

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