नई दिल्ली : इस मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने बताया कि, सरकार लगभग सात साल के ब्रेक के बाद चीनी का मिनिमम सेलिंग प्राइस (MSP) लगभग 23% बढ़ाकर ₹38 प्रति kg कर सकती है। सूत्रों ने बताया कि, केंद्र सरकार गन्ने से बने फीडस्टॉक के लिए एथेनॉल प्रोक्योरमेंट प्राइस भी बढ़ा सकता है। यह कदम केंद्र द्वारा 2025-26 सीज़न (अक्टूबर-सितंबर) के लिए 1.5 मिलियन टन चीनी के एक्सपोर्ट को मंजूरी देने के बाद उठाया जाएगा।
केंद्र सरकार ने फरवरी 2019 से चीनी का MSP ₹31 प्रति kg बनाए रखा है। इंडस्ट्री ज़्यादा प्रोडक्शन कॉस्ट का हवाला देते हुए कीमत बढ़ाने पर जोर दे रही है। MSP में बढ़ोतरी से चीनी मिलों के लिए लिक्विडिटी बढ़ेगी, जिससे उन्हें गन्ना किसानों को पेमेंट करने में मदद मिलेगी।नेशनल फेडरेशन ऑफ को-ऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज़ ने केंद्रीय खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री प्रल्हाद जोशी को लिखे एक लेटर में कहा, शुगर (कंट्रोल) ऑर्डर, 2025 के सेक्शन 9 के अनुसार, और FRP (फेयर एंड रिम्यूनरेटिव प्राइस) में 4.42% की बढ़ोतरी के साथ-साथ महंगाई से जुड़ी इनपुट कॉस्ट में बढ़ोतरी को देखते हुए, शुगर MSP को ₹41 प्रति kg करना सही और लॉजिकल दोनों है।
इंडस्ट्री बॉडी ने लेटर में कहा कि, एथेनॉल की कीमतों पर मौजूदा स्थिति मिलों की गन्ने के पेमेंट की जिम्मेदारियों को पूरा करने की क्षमता पर बुरा असर डालती है, खासकर तब जब FRP और दूसरी इनपुट कॉस्ट लगातार बढ़ रही हैं।किसानों को मिलने वाली कुल गन्ने की कीमत में एथेनॉल से होने वाली कमाई का हिस्सा 20% से ज़्यादा होता है। B-हैवी मोलासेस और गन्ने के जूस या सिरप से बनने वाले एथेनॉल की कीमतें ESY 2022-23 से ही बदली नहीं हैं।


















