पटना:बिहार में भारी बहुमत से सत्ता में आते ही एनडीए सरकार का गन्ना उद्योग विभाग चीनी मिलों को चालू कराने की कवायद में जुट गया है। राज्य के बंद नौ चीनी मिलों को चालू कराने की तैयारी शुरू कर दी गई है। आपको बता दे की, विधानसभा चुनाव में बंद चीनी मिलों का मुद्दा काफी उछाला गया। चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एवं गृहमंत्री अमित शाह द्वारा बिहार के युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने और बंद पड़ी चीनों मिलों को चालू कराने की घोषणा की थी। इस मुद्दे पर विपक्षियों द्वारा नितीश कुमार सरकार को घेरने की कोशिश भी की गई, लेकिन मतदाताओं ने फिर एब बार एनडीए पर भरोसा जताया।
जागरण में प्रकाशित खबर के मुताबिक, बिहार में 1980 से पहले 28 चीनी मिलें थी। 1990 के उपरांत नौ चीनी मिलों की स्थिति और खराब होती चली गई। 2005 आते-आते नौ चीनी मिले बंद हो गई। अब नई सरकार ने 34 चीनी मिलों को चलाने की घोषणा की है। इसमें नई 25 एवं नौ पुरानी चीनी मिलें शामिल हैं। इसके लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में भी एक टीम गठित की गई है। लैंड बैंक बनाने के साथ ही किसानों का बकाया भुगतान को लेकर भी पहल शुरू हो गई है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई पहली कैबिनेट बैठक में राज्य के नौ बंद पड़े चीनी मिलों को चालू कराने की स्वीकृति प्रदान की गई है, जिसमें समस्तीपुर इकाई, दरभंगा की सकरी इकाई एवं रैयाम इकाई, मुजफ्फरपुर की मोतीपुर इकाई, कावनपुर सुगर वर्क्स लिमिटेड मढ़ौरा, कावनपुर सुगर वर्क्स लिमिटेड बारा चकिया पूर्वी चम्पारण, कावनपुर सुगर वर्क्स लिमिटेड चनपटिया पश्चिम चम्पारण, श्रीहनुमान सुगर एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड मोतिहारी और सासामूसा सुगर वर्क्स प्राइवेट लिमिटेड गोपालगंज शामिल है। इसमें मोतिहारी और सासामूसा की चीनी मिल निजी क्षेत्र की है।

















