सहारनपुर : गन्ना फसल पर टॉप बोरर का प्रकोप दिखाई दे रहा है। इस कीट के हमले से गन्ने की उत्पादकता में कमी आ जाती है। आपको बता दे की, यह कीट खुली पत्तियों को खाते हुए गन्ने की चोटी की ओर बढ़ता है। इसका प्रकोप सितंबर महीने तक पाया जाता है। अधिक प्रकोप बढ़ने पर यह कीट फसल को नुकसान पहुंचा सकता है।
‘अमर उजाला’ में प्रकाशित खबर के अनुसार, कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी एवं फसल सुरक्षा विभाग के प्रोफेसर डॉ. आईके कुशवाहा ने बताया कि टॉप बोरर पर नियंत्रण के लिए मई के प्रथम सप्ताह में क्लोरेंट्रनिलीपरोले 1805 एससी की 150 मिलीलीटर मात्रा को 400 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ छिड़काव करना चाहिए। छिड़काव इस तरह से करना चाहिए जिससे पौधा नीचे तक दवा से पूरी तरह से भीग जाए। इसके करीब दस दिन तक खेत में पर्याप्त नमी होनी चाहिए।
इसके अलावा गन्ने की पत्तियों में पांच ट्राइकोग्रामा कार्ड प्रति हेक्टेयर 10-15 दिन के अंतर पर लगाना फायदेमंद है। फेरोमोन ट्रैप भी 20 से 25 की दर से प्रति हेक्टेयर टॉप बोरर फेरोमोन ल्यूर गंध के साथ खेत में 10 से 20 मीटर की दूरी पर लकड़ी के डंडों पर लगाएं। इसका ल्यूर 30 से 45 दिन में बदलना चाहिए। इस तकनीक से टॉप बोरर कीट का जीवन चक्र प्रभावित होकर रुक जाता है।











