नई दिल्ली : केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने भारत-यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) की प्रगति पर चर्चा करने के लिए ब्रुसेल्स में यूरोपीय संघ के व्यापार एवं आर्थिक सुरक्षा आयुक्त मारोस सेफकोविक के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की।दोनों पक्षों ने 2025 के अंत तक लंबे समय से प्रतीक्षित व्यापार सौदे को पूरा करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की।गोयल ने कहा कि इससे भारत-यूरोपीय संघ साझेदारी को फिर से परिभाषित करने में मदद मिली।
बैठक में दोनों क्षेत्रों में व्यवसायों के लिए बाजार पहुंच बढ़ाने और विश्वसनीय, विविध आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।चर्चा का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि, एफटीए न केवल रणनीतिक होगा बल्कि दोनों अर्थव्यवस्थाओं के सतत विकास के लिए पारस्परिक रूप से लाभकारी भी होगा।’एक्स’ पर सोशल मीडिया पोस्ट में गोयल ने कहा, “भारत-यूरोपीय संघ साझेदारी को फिर से परिभाषित करते हुए, आज यूरोपीय संघ के व्यापार और आर्थिक सुरक्षा आयुक्त मारोससेफकोविक के साथ में, हमने 2025 के अंत तक भारत-यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौते की वार्ता को समाप्त करने के लिए अपनी साझा प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह समझौता नवाचार को बढ़ावा देगा, प्रतिस्पर्धा में सुधार करेगा और भारत और यूरोपीय संघ के बीच भविष्य के लिए तैयार निवेश और गतिशीलता का समर्थन करेगा। दोनों पक्षों ने साझा समृद्धि का समर्थन करने वाले निष्पक्ष और व्यापक समझौते के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने वार्ता को आगे बढ़ाने में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन के नेतृत्व की भूमिका पर भी प्रकाश डाला। मंत्री ने कहा, भारत और यूरोपीय संघ, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी और यूरोपीय संघ के अध्यक्ष वोंडरलेयेन के नेतृत्व में, हमारे क्षेत्रों की साझा समृद्धि और सतत विकास के लिए पारस्परिक रूप से लाभकारी और रणनीतिक समझौते की दिशा में काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
भारत-यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौते पर कई वर्षों से बातचीत चल रही है। यदि यह समझौता संपन्न होता है, तो यह भारत के सबसे महत्वपूर्ण व्यापार समझौतों में से एक होगा, जो दोनों क्षेत्रों के निर्यातकों, निवेशकों और श्रमिकों के लिए बड़े अवसर खोलेगा।ब्रसेल्स में हुई बैठक दोनों पक्षों की ओर से शेष चुनौतियों को दूर करने और प्रस्तावित समयसीमा के भीतर समझौते को अंतिम रूप देने के लिए नए सिरे से प्रयास करने का संकेत देती है। (एएनआई)