उत्तर प्रदेश : गन्ना विभाग के कर्मचारियों से गबन के 4.75 करोड़ रुपये वसूलने की तैयारी

अमरोहा : तीन साल पूर्व पौने पांच करोड़ रुपये के गबन में फंसे गन्ना विकास परिषद के पूर्व ज्येष्ठ गन्ना विकास निरीक्षक प्रीतम सिंह व डीसीओ कार्यालय के बर्खास्त बाबू आशीष सैनी से धनराशि वसूल की जाएगी। इसके लिए गन्ना विभाग के अफसरों ने एडीएम वित्त एवं राजस्व को पत्र लिखकर अनुरोध किया है। अमर उजाला में प्रकाशित खबर के अनुसार, तीन साल पूर्व गजरौला गन्ना विकास परिषद के ज्येष्ठ विकास निरीक्षक प्रीतम सिंह और डीसीओ कार्यालय के बाबू आशीष सैनी पर करीब पौने करोड़ रुपये के गबन का आरोप लगा। आरोपी बाबू पर चंदनपुर गन्ना विकास परिषद की जिम्मेदारी थी।

गबन की शिकायत मिलने पर तत्कालीन उप गन्ना आयुक्त परिक्षेत्र बरेली ने तीन सदस्यीय जांच टीम गठित कर कराई थी। जांच में पौने पांच करोड़ रुपये गबन की पुष्टि हुई थी। इसके बाद प्रीतम सिंह ने बाबू आशीष सैनी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई गई। आरोपी बाबू के खिलाफ काफी सबूत मिलने पर पुलिस ने 17 मार्च-23 को उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।

इसके बाद गन्ना विभाग ने विभागीय जांच और पुलिस ने अपनी जांच शुरू की। जांच में प्रीतम सिंह द्वारा आशीष के साथ मिलकर किया गया खेल सामने आया। जिस पर गन्ना विभाग ने कार्रवाई करते हुए तत्कालीन डीसीओ हेमेंद्र प्रताप सिंह को लखनऊ और एससीडीआई को कासगंज आबद्ध कर दिया गया। मुरादाबाद के डीसीओ अजय सिंह को अमरोहा की अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई थी। साथ ही उनको जांच टीम का अध्यक्ष बनाया गया था, लेकिन उन पर आरोप है कि उन्होंने आशीष से घनिष्ठता निभाते हुए विभाग के वरिष्ठ अफसरों को गुमराह किया। इस कारण उनको भी निलंबित कर तत्कालीन गन्ना आयुक्त संजय एस भूसरेड्डी ने अपने कार्यालय में सम्बद्ध किया।

उधर एससीडीआई को प्रदेश के अपर मुख्य सचिव चीनी उद्योग ने निलंबित करने के साथ ही कासगंज से हटाकर बरेली उप गन्ना आयुक्त कार्यालय में संबद्ध किया। बाद में दोनों को बर्खास्त कर दिया गया। अब उनसे गबन की धनराशि वसूल किए जाने की तैयारी चल रही है। एससीडीआई राम जीवन ने बताया कि वसूली के लिए एडीएम वित्त एवं राजस्व को पत्र लिखा गया है।

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