पुणे : उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने रविवार को घोषणा की कि, वसंतदादा चीनी संस्थान (वीएसआई) ने गन्ने की खेती में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) अपनाने वाले 5,000 किसानों के लिए सब्सिडी दोगुनी करने का फैसला किया है (2025-26 पेराई सत्र के लिए 9,250 रुपये से 18,250 रुपये प्रति हेक्टेयर)। पुणे स्थित संस्थान की संचालन परिषद के एक प्रमुख सदस्य, पवार ने कहा कि संशोधित सब्सिडी महाराष्ट्र भर के पहले 5,000 किसानों को ‘पहले आओ-पहले पाओ’ के आधार पर दी जाएगी। सहकारी या निजी चीनी मिलों में उनकी सदस्यता की परवाह किए बिना किसान इसके पात्र होंगे।
उन्होंने यह बयान वीएसआई संचालन परिषद की बैठक के बाद दिया, जिसकी अध्यक्षता इसके अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने की। पवार ने कहा, अगर संख्या 5,000 से ज़्यादा होती है, तो हम राज्य सरकार से सहायता के लिए संपर्क करेंगे और मुख्यमंत्री व कृषि मंत्री से इस बारे में चर्चा करेंगे कि क्या राज्य की नीति में संशोधन करके ज़्यादा किसानों को लाभ पहुँचाया जा सकता है। उन्होंने आगे कहा कि, हालांकि वीएसआई की सब्सिडी योजना केवल चालू वर्ष के लिए ही लागू है, लेकिन सरकार अगले साल माँग के आधार पर एक नई नीति बनाने पर विचार कर सकती है। इसके अलावा, वीएसआई ने गन्ने के सेट (पौधे) की लागत कम करके किसानों को प्रोत्साहित करने का फैसला किया है।
उन्होंने कहा, प्रति सेट की कीमत 3 रुपये से घटाकर 2 रुपये कर दी जाएगी, जिससे प्रति सेट 1 रुपये की सब्सिडी मिलेगी। चूँकि एक हेक्टेयर में आमतौर पर 12,000 से 12,500 सेट की आवश्यकता होती है, इसलिए किसानों की कुल लागत लगभग 24,000 से 25,000 रुपये तक कम हो जाएगी। संस्थान के एक अधिकारी ने बताया कि, एआई-आधारित कृषि योजना पिछले साल शुरू की गई थी और 847 किसान इसके लिए पंजीकरण करा चुके हैं।
पवार ने राज्य सरकार के उस निर्देश का भी बचाव किया जिसमें चीनी मिलों को मुख्यमंत्री राहत कोष में प्रति हेक्टेयर 10 रुपये और बाढ़ प्रभावित किसानों के लिए प्रति हेक्टेयर 5 रुपये का अतिरिक्त योगदान देने को कहा गया था। उन्होंने कहा, सरकार मुख्यमंत्री राहत कोष से करोड़ों रुपये वंचितों के इलाज पर खर्च करती है। जब मिलें ऐसे उद्देश्यों के लिए योगदान देती हैं, तो कोई समस्या नहीं होनी चाहिए।