बीड : महाराष्ट्र की मंत्री पंकजा मुंडे ने सोमवार को वैद्यनाथ सहकारी चीनी मिल, जिसकी वह अध्यक्ष थीं, की बिक्री से जुड़े विवाद से खुद को अलग कर लिया। उन्होंने कहा कि, मिल को एक बैंक ने जब्त कर लिया था, जिसने इसे नीलामी के ज़रिए एक निजी संस्था को बेच दिया। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, अगर हमें अन्य चीनी मिलों की तरह धन मिलता, तो यह स्थिति पैदा नहीं होती। एक किसान संगठन के पदाधिकारी ने अक्टूबर में आरोप लगाया था कि, वैद्यनाथ सहकारी चीनी मिल को उसके अध्यक्ष की मंजूरी से, शेयरधारकों और सदस्य किसानों को सूचित किए बिना, एक निजी संस्था को बेच दिया गया।
क्रांतिकारी शेतकरी संगठन के बीड जिला अध्यक्ष कुलदीप करपे ने कहा था कि, मिल 132 करोड़ रुपये में बेची गई थी और बिक्री विलेख अगस्त 2025 में पंजीकृत किया गया था। मुंडे ने स्पष्ट किया कि, चीनी मिल के वर्तमान मालिक, ओंकार समूह ने नीलामी के ज़रिए एक बैंक से मिल खरीदी थी। मैं चीनी मिल नहीं बेच सकती क्योंकि मैं मालिक नहीं थी। मैं तो सिर्फ़ मिल के लिए काम कर रही थी। बैंक ने चीनी मिल जब्त कर ली और आगे की कार्रवाई डीआरटी (ऋण वसूली न्यायाधिकरण) और नीलामी के ज़रिए की गई। अगर मिल को दूसरी चीनी मिलों की तरह फंडिंग मिलती तो इस स्थिति को टाला जा सकता था। हालांकि, अब मैं जिम्मेदारियों से मुक्त हूँ और संतुष्ट हूँ। उन्होंने पत्रकारों से कहा, धोत्रे पाटील (नए मालिक) इस मिल को पेशेवर तरीके से चलाएँगे। राजनेताओं की कुछ सीमाएं होती है।
मुंडे ने कहा कि, ओंकार समूह ने जिले में गन्ने का सबसे ज्यादा दाम देते हुए लगभग दस लाख टन गन्ने की पेराई का वादा किया है। उन्होंने आगे कहा, मुझे समझ नहीं आ रहा कि यह मुद्दा अब क्यों उठाया गया। इससे पहले, मैंने आम सभा की बैठक में स्पष्ट किया था कि हम बैंक के साथ सहयोग करेंगे क्योंकि हमारी आर्थिक स्थिति नाज़ुक है। जब हमें पहले नोटिस मिले तो बहुत दुख हुआ। जीएसटी छापे पड़े।












