नई दिल्ली : चीनीमंडी
लंबी अवधि की औसत वर्षा लगभग 40-50 मि.मी. कम हुई है। मौसम विज्ञान, स्काईमेट वेदर सर्विसेज के उपाध्यक्ष जी.पी. शर्मा का कहना है कि, यह संकेत देता है कि अगले कुछ मानसून में भी यही स्थिती हो सकती है। आज की तारीख में बारिश की कमी लगभग 13% है। जून में, यह 33% था। जुलाई के पहले पंद्रह दिनों में अच्छी बारिश के कारण, बारीश 12% तक कम हो गया लेकिन, पिछले तीन-चार दिनों में यह घाटा फिर से बढ रहा है।
शर्मा ने कहा की, अगले कुछ दिनों में बारिश थोड़ी कम ही होगी और घाटा 15-16% तक और चढ़ सकता है, जो निश्चित रूप से चिंता का विषय है। मानसून के लगभग 45 दिनों के मौसम में इस प्रकार की स्थिति काफी गंभीर है। मानसून का अपना चक्र होता है। कभी-कभी एक या दो दशक की अवधि में, सूखे की संख्या अधिक होती है। इसी तरह, इस समय हम एक चक्र में है जो सामान्य मानसून से नीचे का अनुभव कर रहा है।
2001 के बाद से, हमारे पास पांच सूखे हैं और उसमे 2014 और 2015 यह दो हाल के हैं। पिछले साल भी, हम सूखे के डर से बच गये। अब हम एक चक्र में हैं, जिसमें मानसून की वर्षा कम हो रही है। पिछले तीन दशकों में, मानसून के मौसम में लगभग 40-50 मिमी औसत बारिश की गिरावट आई है।
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