आज दिनॉक 25 जनवरी 2023 को गन्ना आयुक्त कार्यालय, डॉलीबाग, लखनऊ में प्रदेश के आयुक्त, गन्ना एवं चीनी, श्री संजय आर. भूसरेड्डी की अध्यक्षता में बीज गन्ना एवं गन्ना किस्म स्वीकृति उप समिति की बैठक आयोजित हुई। बैठक में उ.प्र. गन्ना शोध परिषद्, शाहजहॉपुर द्वारा विकसित मध्य देर से पकने वाली किस्में को.शा. 16233 एवं को.शा.15233 के आंकड़ें प्रस्तुत किये गये। प्रस्तुत आंकड़ों पर अध्यक्ष एवं समिति के सभी सदस्यों द्वारा गहन विचार-विमर्श के बाद सर्वसम्मति से इन दोनों किस्मों को व्यावसायिक खेती हेतु सम्पूर्ण उ.प्र. के लिए स्वीकृत किया गया। को.शा. 16233 की औसत उपज 87.65 टन प्रति हेक्टेअर तथा पोल इन केन औसत 14.07 प्रतिशत है। को.शा.15233 की औसत उपज 93.48 टन प्रति हेक्टेअर तथा पोल इन केन औसत 13.85 प्रतिशत है।
इस संबंध में विस्तृत जानकारी देते हुए गन्ना आयुक्त, श्री भूसरेड्डी ने बताया कि आज की बैठक में अखिल भारतीय समन्वित शोध परियोजना के अन्तर्गत नार्थ सेन्ट्रल जोन के लिए नोटीफाइड शीघ्र पकने वाली किस्म को.लख. 15466 को पूर्वी उ.प्र. हेतु अंगीकृत किया गया, जिसकी औसत उपज 85.97 टन प्रति हेक्टेअर तथा पोल इन केन 13.54 प्रतिशत है। साथ ही अखिल भारतीय समन्वित शोध परियोजना के अन्तर्गत नार्थ वेस्ट जोन के लिए नोटीफाइड मध्य देर से पकने वाली किस्म को.लख. 14204 एवं को.लख. 15207 को मध्य एवं पश्चिमी उ.प्र. हेतु अंगीकृत किया गया, जिसकी औसत उपज क्रमशः 92.73 टन प्रति हेक्टेअर तथा 84.53 टन प्रति हेक्टेअर तथा पोल इन केन क्रमशः 13.55 प्रतिशत एवं 14.60 प्रतिशत है।
उन्होनें बताया कि को.शा.16233 एवं को.लख.14204 गन्ना किस्में मध्य देर से पकने वाली गन्ना किस्म के रूप में जारी की गई है, किन्तु इसकी उपज एवं चीनी परता कई अगेती किस्मों के समतुल्य है। अतः ये किस्में किसानों के लिए गन्ना खेती में किस्म विविधता के दृष्टिगत उपयुक्त किस्म साबित हो सकती है।
उन्होनें यह भी बताया गया कि भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ द्वारा अखिल भारतीय समन्वित शोध परियोजना के अन्तर्गत नोटीफाइड अगेती गन्ना किस्म को.लख.15201 के आंकड़ें भी उप समिति के समक्ष प्रस्तुत किये गये। गन्ना किस्म के गुण-दोष के सम्बन्ध में मतभेद होने के दृष्टिगत इसके अंगीकरण को स्थगित कर दिया गया। साथ ही इस किस्म की गहन समीक्षा हेतु दोनों शोध संस्थाओं के वैज्ञानिकों, पश्चिमी, मध्य एवं पूर्वी उत्तर प्रदेश के किसानों, चीनी मिलों के प्रतिनिधिगण व गन्ना विकास विभाग के विशेषज्ञों की एक कमेटी गठित करने के निर्देश दिये गये। कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर अगली बैठक में उ.प्र. में इसके अंगीकृत करने अथवा भारत सरकार को उचित संस्तुति प्रेषित करने के सम्बन्ध में निर्णय लिया जायेगा। फिलहाल प्रदेश के गन्ना किसानों को को.लख.15201 का बीज वितरण गन्ना बुआई हेतु नहीं किया जायेगा।
उपर्युक्त के अतिरिक्त प्रदेश की पुरानी गन्ना किस्मों के वर्तमान गन्ना क्षेत्रफल, कृषकों में लोकप्रियता का स्तर एवं इनके गुणदोष तथा वर्तमान विकल्पों पर विचार करते हुए अलोकप्रिय एवं नगण्य आच्छादन वाली पुरानी गन्ना किस्मों यथा-यू.पी.0097, को.शा.98259, को.शा.94257, को.जा.20193, का.े0124, को.शा.96269, को.पन्त.84212, को.87268, को.87263, को.89029, को.से.01235 तथा यू.पी.39 को स्वीकृत गन्ना किस्मों की सूची से विलोपित कर दिया गया।
यह भी उल्लेखनीय है कि वर्तमान में प्रदेश में लाल सड़न रोग का प्रभाव मुख्यतः इसके नवीन प्रभेद ब्थ्.13 के कारण है और आज स्वीकृत हो रही सभी 05 किस्में लाल सड़न रोग के नवीन प्रभेद सी.एफ.13 से मध्यम रोगरोधी पायी गयी है। अतः इन पर लाल सड़न रोग का प्रभाव कम होगा। ये किस्में जमाव, व्यॉत, मिल योग्य गन्नों की संख्या, उपज एवं पेड़ी क्षमता तथा गुणवत्ता में भी श्रेष्ठ है। बैठक में अपर गन्ना आयुक्त (विकास) एवं निदेशक, उ.प्र. गन्ना शोध परिषद, शाहजहॉपुर श्री वी.के. शुक्ल समस्त वैज्ञानिक, चीनी मिल अजबापुर, हैदरगढ़ एवं पीलीभीत के महा प्रबन्धक तथा किसान प्रतिनिधि सम्मिलित रहे।