महाराष्ट्र के 11 जिले मौसम में बदलाव के चलते अत्यधिक संवेदनशील…

नई दिल्ली: मौसम में बदलाव का असर आगे आने वाले समय में दिख सकता है और इसका असर महाराष्ट्र पर भी नजर आ सकता है।

Thehindu.com में प्रकाशित खबर के मुताबिक, केंद्र सरकार के तहत एजेंसियों की एक अध्ययन रिपोर्ट से पता चला है कि, महाराष्ट्र के 36 जिलों में से ग्यारह जिले अत्यधिक मौसम की घटनाओं, सूखे और घटती जल सुरक्षा के चलते अत्यधिक संवेदनशील हैं। अध्ययन का शीर्षक ‘जलवायु परिवर्तन के लिए सामाजिक-आर्थिक भेद्यता – महाराष्ट्र में जिलों के लिए सूचकांक विकास और मानचित्रण’ (Socio-economic vulnerability to climate change – Index development and mapping for districts in Maharashtra) है। यह अध्ययन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (करनाल, हरियाणा) के चैतन्य आढाव द्वारा भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान के डॉ आर सेंधिल के मार्गदर्शन में आयोजित किया गया था।

इस अध्ययन से पता चला है कि, उत्तरी महाराष्ट्र में नंदुरबार चक्रवात, बाढ़, सूखे, बदलते वर्षा पैटर्न और अत्यधिक तापमान के लिए सबसे कमजोर जिला है, जिससे फसल उत्पादन प्रभावित होता है। अन्य 10 अति संवेदनशील जिलों में बुलढाणा, बीड, जालना, औरंगाबाद, हिंगोली, परभणी, नांदेड़, अकोला, अमरावती और वाशिम शामिल हैं।

अध्ययन के अनुसार, 14 जिलों में राज्य का 37% कृषि क्षेत्र मध्यम रूप से कमजोर है, जो कि मौजूदा जलवायु संकट की चपेट में आने वाले महाराष्ट्र के तीन-चौथाई फसली क्षेत्रों को उच्च से मध्यम रूप से कमजोर बनाता है। इनमें धुले, जलगांव, रत्नागिरी, सिंधुदुर्ग, सांगली, सोलापुर, उस्मानाबाद, लातूर, यवतमाल, वर्धा, चंद्रपुर, भंडारा, गोंदिया और गढ़चिरौली शामिल हैं। हालांकि, अध्ययन में विश्लेषण में मुंबई और उपनगरीय जिलों को शामिल नहीं किया गया था। इन जिलों की प्रमुख फसलें जो जलवायु परिवर्तन का खामियाजा भुगतेंगी, उनमें ज्वार, चावल, गेहूं, गन्ना, कपास, रागी, काजू, जौ और बाजरा शामिल हैं। पालघर, ठाणे, रायगढ़, नासिक, सतारा, कोल्हापुर, अहमदनगर, नागपुर और पुणे यह नौ जिले जलवायु कृषि संकट के लिए सबसे कम संवेदनशील पाए गए।

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