नई दिल्ली : देश में कम से कम 149 चीनी मिलों ने 26 दिसंबर तक 12 लाख टन से अधिक के अपने चीनी कोटे का आदान-प्रदान किया है, जबकि 4 जनवरी को विंडो बंद होने से पहले सिर्फ एक सप्ताह बचा है। चीनी कोटे का आदान-प्रदान करनेवाली ज्यादातर मिलें उत्तर प्रदेश और बिहार की है। द हिन्दू में प्रकाशित खबर के मुताबिक,, मिलों को ₹3-4/किग्रा का प्रीमियम मिल रहा है और महाराष्ट्र और कर्नाटक में बंदरगाहों के पास स्थित मिलें कोटा खरीद रही है।
केंद्र सरकार ने 5 नवंबर को 60 लाख टन चीनी के निर्यात की अनुमति दी है, जिसे 31 मई, 2023 तक भेजने की आवश्यकता है। खाद्य मंत्रालय ने प्रत्येक चीनी मिल को निर्यात कोटा आवंटित करके शिपमेंट की अनुमति दी और मिलों के बीच आवंटित मात्रा को विनिमय योग्य भी बनाया। दिशानिर्देशों के अनुसार, कोई भी मिल जो निर्यात कोटा वापस करना चाहती है, उसे 4 जनवरी से पहले ऐसा करना होगा और कोटा हर महीने आवंटित घरेलू बिक्री मात्रा के साथ समायोजित किया जाएगा।
उदाहरण के लिए, एक मिल जो निर्यात कोटा का आदान-प्रदान करती है, उसे घरेलू बाजार में अपने नियमित मासिक कोटे से अधिक मात्रा में बिक्री करनी होगी, और इसी तरह एक मिल जो किसी अन्य मिल से कोटा खरीदकर अधिक निर्यात करने के लिए सहमत होती है, उसे उसी मात्रा (खरीदा) नियमित मासिक घरेलू बिक्री आवंटन का त्याग करना होगा। एक्सचेंज किए गए निर्यात कोटा के बदले में घरेलू आवंटन भी एक अवधि में समान रूप से साझा किया जाता है, ताकि एक मिल को एक महीने में पूरी मात्रा बेचने का दबाव न पड़े।