काशीपुर : गन्ने की फसल लाल सड़न की चपेट में आने से प्रदेश के गन्ना किसानों को काफी नुकसान हो रहा है। गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग के आयुक्त त्रिलोक सिंह मर्तोलिया ने सभी सहायक गन्ना आयुक्तों एवं चीनी मिलों को बचाव के निर्देश जारी किए हैं। अमर उजाला में प्रकाशित खबर के अनुसार, उन्होंने कोयम्बटूर 0238 गन्ना प्रजाति की बुवाई पर रोक लगाने को कहा है।
खबर में आगे कहा गया है कि, गन्ना अनुसंधान केंद्र, काशीपुर के वैज्ञानिकों ने गन्ने को लाल सड़न की चपेट में आने से बचाने के लिए वर्तमान कोयम्बटूर 0238 नामक गन्ना प्रजाति को लगाने से मना किया है। इस रोग की प्रारंभिक अवस्था में पौधा शुष्क एवं झुर्रीदार हो जाता है। तने को लंबाई में चीरने पर अंदर का गूदा लाल रंग का दिखाई देता है व इसमें से सिरके जैसी गंध आती है। रोग से प्रभावित पौधों को जड़ सहित निकालकर नष्ट कर दें।
क्या उपाय करें…
गड्ढों में 10 से 20 ग्राम ब्लीचिंग पाउडर डालकर ढक दें। लाल सड़न रोग के लक्षण दिखाई देने पर थायोफेनेट मिथाइल 70 डब्ल्यूपी की 425-500 ग्राम मात्रा को 300-350 लीटर पानी में घोल बनाकर खड़ी फसल में छिड़काव करें। साथ ही ट्राईकोडर्मा चार किग्रा. प्रति एकड़ प्रभावित फसल में प्रयोग करें। गन्ना बुवाई के लिए रोगमुक्त एवं उत्तराखंड प्रदेश में स्वीकृत गन्ना प्रजातियों का प्रयोग करें। कटे गन्ने के टुकड़ों को थायोफैनेट मिथाइल 70 डब्ल्यूपी फफूंदीनाशक का 1.4 ग्राम प्रति लीटर घोल बनाकर 15 मिनट तक शोधन के बाद बुवाई करें।