महाराष्ट्र के बाद अब उत्तर प्रदेश की मिलें भी ऑक्सीजन उत्पादन पर करेगी काम

लखनऊ: कोरोना महामारी के चलते इस समय देश में मेडीकल ऑक्सीजन की बड़ी मात्रा में कमी है। ऑक्सीजन न मिलने से लोगो को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसी स्थिति में महाराष्ट्र की मिलों ने ऑक्सीजन उत्पादन की पहल शुरू कर दी है। महाराष्ट्र के उस्मानाबाद जिले में स्थित धाराशिव मिल में ऑक्सीजन उत्पादन का पाइलेट प्रोजेक्ट शुरू है। अब उत्तर प्रदेश की मिलें भी ऑक्सीजन उत्पादन पर गंभीरता से सोच- विचार कर रही है।

सैनेटाइजर उत्पादन में रिकार्ड स्थापित करने के बाद उत्तर प्रदेश के गन्ना विकास व चीनी उद्योग तथा आबकारी विभाग ने अब राज्य में कोरोना मरीजों को बचाने के लिए ऑक्सीजन उत्पादन की तैयारी शुरू की है। चार मई को इथेनोल बनाने वाली चीनी मिलों में ऑक्सीजन उत्पादन के पाइलेट प्रोजेक्ट का परीक्षण होगा। इसकी सफलता के बाद प्रदेश के हर जिले के एक सामुदायिक केन्द्र में यह दोनों विभाग मिलकर पचास बेड के मरीजों के लिए ऑक्सीजन प्लांट भी लगाएंगे।अगर मंगलवार को यह प्रयोग सफल हो गया तो चीनी मिलों में 68 किलोलीटर प्रतिदिन एथानाल बनाने वाली डिस्टलरी में 20 से 25 मीट्रिक टन ऑक्सीजन प्रतिदिन बनेगी।

लाइव हिंदुस्तान डॉट कॉम में प्रकाशित खबर के मुताबिक, मुख्य सचिव संजय आर.भूसरेड्डी ने कहा की प्रदेश के सहकारी व निगम क्षेत्र की पन्द्रह ऐसी चीनी मिलों को चिन्हित किया गया है जहां अभी इथेनॉल का उत्पादन किया जा रहा है। एथानाल बनाने वाली चीनी मिलों में नाइट्रोजन को फिल्टर करता है, नाइट्रोजन फिल्टर करने वाले इस उपकरण को निकालकर ऑक्सीजन फिल्टर लगाया जाएगा। नान आयल बेस्ड कम्प्रेसर पम्प लगाया जाएगा और फिर 98 से 99 प्रतिशत ऑक्सीजन बनाई जाएगी जिसे क्रायोजेनिक टैंकरों में भरकर अस्पतालों को आपूर्ति की जाएगी।

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