गोपालगंज (बिहार): यहां के सासामुसा स्थित चीनी मिल को बंद हुए चार दिन हो गए, और ऐसा आरोप है की किसानों और मिलकर्मियों की परेशानियों को दूर करने के लिए अब तक न तो मिल प्रबंधन और न ही सरकार की ओर से कोई ठोस सूचना दी गई है। चार दिनों से गन्ना के भुगतान और बचा गन्ना गिराने के लिए परेशान किसानों ने अब आंदोलन की राह पर चलने की तैयारी शुरू कर दी है।
खबरों के मुताबिक, आसपास के गांवों के किसान बुधवार को जगह-जगह बैठकें कर आंदोलन की तैयारी करते देखे गए। उन्होंने कहा कि सरकार इस समस्या का जल्द से जल्द समाधान नहीं करेगी तो वे बड़ा आंदोलन करेंगे। यहां के ढेबवा, बरनैया, पहाड़पुर, टोला सिपाया, तिवारी मटीहिनिया, दुर्ग मटीहिनिया, सासामुसा, बनकटा आदि गांवों के किसान आपस में मिलकर आगे की रणनीति बना रहे हैं। किसानों ने कहा कि यह उनके लिए जीवन-मरण का प्रश्न है। किसानों की सारी जमापूंजी मिल की तिजोरी में बंद है। पदाधिकारी इस बारे में कुछ भी कहने को तैयार नहीं हैं। ऐसे में अब उन्हें आंदोलन का रास्ता ही अपनाना होगा।
बता दें कि मिल का प्रबंधन 26 जनवरी की सुबह मिल बंद करके अचानक गायब हो गए था, तब से उनका कोई अता-पता नहीं। मिल में ताला लगा हुआ है। मिल-कर्मियों और किसानों का करोड़ों रुपया मिल में फंसा हुआ है। कुछ गन्ना अभी भी खेतों में ही पड़ा है। किसान अपनी फंसी हुई राशि मिल से निकालने के साथ ही गन्ने को गिराने को लेकर परेशान है। इस बीच, खबर मिली है कि मिल प्रबंधन 31 जनवरी को गन्ना विभाग और सेंट्रल बैंक के अधिकारियों के साथ बैठक करने जा रहा है, जिसके बाद ही मिल का भविष्य तय हो सकेगा।
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