अहमदनगर : चीनी मंडी
गरीब गन्ना कटाई मजदूरों और उनके बच्चों की शिक्षा की समस्या बहस का विषय है, बहुत कम लोग इसे हल करने के लिए पहल करते हैं, लेकिन अहमदनगर जिले के अकोले तालुका में अगस्ती सहकारी चीनी मिल ने गरीब मजदूरों के बच्चों को मुख्यधारा में लाने के लिए इसकी पहल की है। मिल ने एक स्वतंत्र कर्मचारी को पिछले 10 वर्षों से इन बच्चों को स्कूल के पाठ पढ़ाने के लिए कार्यरत कर रखा है।
महाराष्ट्र में हर साल लगभग 12 लाख गन्ना कटाई मजदूर चीनी मिलों में कटाई के जाते हैं। चूंकि कई परिवारों के पास गाँव में बच्चों को संभालने कि कोई भु सुविधा नही होती हैै, इसलिए वे उन्हें अपने साथ ले जाते हैं। इसलिए, यह बच्चे तकरीबन छह महीने तक शिक्षा और स्कूल से दूर रहते है। जिससे वो आगे कि जिंदगी में भी ठिक से स्कूली पढाई नही कर पाते। दुसरी तरफ राज्य में बहुत सारी चीनी मिलों में कोई भी सुविधा अच्छी हालत में नहीं है, स्कूल तो बहुत दूर कि बात है। मिल में पेराई सीजन में बहुत अधिक यातायात होती है और माता-पिता दोपहर में कुछ समय के लिए ही घर पर आते हैं। इसलिए बच्चे मिल परिसर में स्कूल नहीं जा पाते हैं। उन बच्चों को भी ज़िम्मेदारियाँ होती हैं, जैसे कि अपने से छोटे भाई-बहनों की देखभाल करना, अपने जानवरों की देखभाल करना, उनके टूटेफुटे घर की सुरक्षा करना। इसलिए, गन्ना श्रमिकों की अगली पीढ़ी सीख नहीं रही है। जिससे गन्ना कटाई मजदूरों के बच्चों की शिक्षा का सवाल बहुत गंभीर बना हुआ है।
मजदूरों के गाँवों में छात्रावास ठीक से काम नहीं कर रहे है, इसलिए वहाँ विभिन्न प्रयोग किए जा रहे है। अगस्ती सहकारी चीनी मिल द्वारा शुरू किया गया चीनी स्कूल का प्रयोग सफल रहा है। आशा है कि, इस पहल का हर जगह पालन किया जाएगा, जिससे गन्ना मजदूरों कि आनेवाली पिढी पढें और आगे बढे।
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