भारत के सामने उर्वरकों की आसमान छूती अंतरराष्ट्रीय कीमतों का संकट

नई दिल्ली: रूस-यूक्रेन संघर्ष सहित विभिन्न कारकों के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में उर्वरकों की बढ़ती कीमतें सरकार के सब्सिडी बिल को बढ़ा रही हैं। रूस-यूक्रेन संकट के अलावा, ईरान के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंधों ने उर्वरकों की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में वृद्धि में योगदान दिया है और सरकार किसानों पर वित्तीय बोझ नहीं डालने के प्रयास कर रही है। आने वाले कृषि मौसम के मद्देनजर सरकार पहले ही भारी मात्रा में उर्वरकों का स्टॉक कर चुकी है। अमेरिका, ब्राजील, पाकिस्तान और चीन जैसे देशों में यूरिया, डायमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) और म्यूरेट ऑफ पोटाश (एमओपी) बहुत अधिक कीमतों पर बेचे जा रहे हैं। भारत में किसानों के लिए यूरिया की कीमत 266.7 रुपये प्रति 50 किलोग्राम है, जबकि पाकिस्तान में कीमत 791 रुपये, इंडोनेशिया में 593 रुपये और बांग्लादेश में 719 रुपये है।

चीन में यूरिया की कीमत भारत से करीब आठ गुना है, जबकि ब्राजील में यह 13.5 गुना है। ब्राजील में 50 किलो यूरिया की कीमत 3600 रुपये है, अमेरिका में इसकी कीमत 3060 रुपये है और चीन में किसानों को यह 2100 रुपये के बराबर मिलती है। डीएपी और एमओपी के मूल्य निर्धारण में भी भारी अंतर का एक समान पैटर्न दिखाई देता है। उर्वरकों की कीमतें अगर ऐसे ही आसमान छूती रहीं तो इस वित्तीय वर्ष में उर्वरक खरीद की लागत 2 लाख करोड़ तक जा सकती है।केंद्र ने अतिरिक्त लागत वहन की है और किसानों को सब्सिडी देना जारी रखा है।

एक सरकारी सूत्र ने एएनआई को बताया कि, सरकार ने 30 लाख मीट्रिक टन डीएपी और 70 लाख मीट्रिक टन यूरिया का स्टॉक किया है।भारत में डीएपी के 50 किलो के बैग की कीमत 1200 रुपये से 1350 रुपये है। इंडोनेशिया में इतनी ही मात्रा में डीएपी की कीमत 9700 रुपये है, जो लगभग आठ गुना है। पाकिस्तान और ब्राजील में यह तीन गुना से ज्यादा है। चीन में डीएपी की कीमत भारत से लगभग दोगुनी है।रॉक फॉस्फेट डीएपी और एनपीके उर्वरकों के लिए प्रमुख कच्चा माल है और भारत 90% आयात पर निर्भर है। अंतरराष्ट्रीय कीमतों में उतार-चढ़ाव उर्वरकों की घरेलू कीमतों को प्रभावित करता है।

रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण उत्पन्न व्यवधानों के कारण भारत अन्य उर्वरक आयात विकल्पों पर विचार कर रहा है।अंतरराष्ट्रीय बाजारों में उर्वरक की कीमतों में वृद्धि से सरकारी सब्सिडी का बोझ दोगुना से अधिक होने की उम्मीद है। हाल के वर्षों में उर्वरक सब्सिडी 80,000 रुपये से 90,000 करोड़ रुपये के बीच रही है।

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