चीनी से इथेनॉल उत्पादन की अनुमति दें : चीनी उद्योग की मांग

पुणे: चीनीमंडी

केंद्र सरकार ने गन्ने के रस से इथेनॉल तैयार करने की अनुमति दी है। हालांकि, पुणे में आयोजीत चीनी परिषद में रेणुका शुगर्स के प्रेसिडेंट रवि गुप्ता ने कहा कि, अगर मिलें गन्‍ने के रस से इथेनॉल का उत्पादन करती है, तो उन्हें प्रति लीटर 59 रूपये मिलते है। उन्होंने सीधे चीनी से इथेनॉल उत्पादन की अनुमति देने की मांग की। यह मांग केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की मौजूदगी में की गई।

गडकरी ने अपने भाषण में कहा कि, वह इस मांग के बारे में सकारात्मक सोचेंगे। गडकरी ने कहा कि, गुप्ता द्वारा प्रस्तुत जानकारी मुझे अभी ज्ञात हुई। उन्होंने आश्‍वस्त किया की, दिल्‍ली में बैठक का आयोजन करके चीनी उद्योग द्वारा उठाई गई हर विषय पर चर्चा करेंगे। उन्हें इस बैठक के लिए पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार को भी साथ लाने को कहा।

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने चीनी उद्योग और विशेषज्ञों को चीनी उत्पादन की जगह इथेनॉल उत्पादन की ओर मुडने की सलाह दी। उन्होंने कहा की, अगले 10 साल तक इथेनॉल उत्पादन में कोई समस्या नहीं है, हालांकि यदि चीनी का उत्पादन किया जाता है, तो आपको केवल आपका भाग्य ही बचा सकता है।

इससे पहले, राज्य के सहकारिता मंत्री, सुभाष देशमुख ने चीनी मिलों के प्रशासनिक व्यय से लेकर गन्‍ना कटाई-ढुलाई लागत की समीक्षा की। उन्होंने कहा, किसानों के लिए गन्ना नकदी फसल है, अगर थोडा भी पानी हो तो भी किसान गन्‍ने की फसल लेते हैं। लेकिन, वर्तमान में गन्ना उद्योग संकट में है। गन्‍ना कटाई मजदूरों की कमी बडी समस्या बनी हुई है। कुछ चीनी मिलों की गन्‍ना कटाई लागत प्रति टन 600 से 700 रुपये है और कुछ मिलों की 1200 से 1400 रुपये है। दुसरी तरफ पानी की समस्या गंभीर है, इसलिए जरूरी है कि पूरे गन्ने के खेत को ड्रिप इरीगेशन में डायवर्ट किया जाए। हर मील को अपने अधिकार क्षेत्र में इसे आजमाने की जरूरत है। इसके अलावा, चीनी मिलों को अब अपने प्रशासनिक व्यय को भी नियंत्रित करने की आवश्यकता है।

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