गन्ने की खेती में जलवायु परिवर्तन से होने वाले नुकसान को बचाने की जिम्मेदारी किसानों के साथ साथ चीनी मिल की भी

नई दिल्ली: जलवायु परिवर्तन वैश्विक समाज के साथ साथ किसानों के लिए चुनौती बना हुआ है। इससे निपटना वर्तमान समय की बड़ी आवश्यकता बन गई है, ताकि किसानों को इसके प्रभाव से बचा सकेl

भू जल के गिरते स्तर के कारण महाराष्ट्र के मराठवाडा के गन्ना किसानों के साथ ही अन्य किसानों के उत्पादन में कमी आ रही हैl ऐसे में इस बात पर चर्चा की जारी है कि मराठवाडा के किसान गन्ना उगायें या नहीं, और यदि गन्ने की खेती न हो तो इन किसानों की आमदनी कैसे सुनिश्चित की जायेl वर्तमान परिस्थितियों में जिस प्रकार से जलवायु परिवर्तन का असर दिख रहा है उसमे खेती करके अनाज उगाने वाले अन्नदाता की दिक्कतों का समाधान निकालना बहुत जरुरी हैl वर्ष 2020 के अनुभव बताते हैं कि कोरोना काल में भी देश की अर्थ व्यवस्था अगर चल रही है और लोगों को रोजगार मिल रहा है तो उसके लिए देश के किसान ही बधाई के पात्र हैंl

इस विषय पर अपना विचार साझा करते हुए, सॉलिडारिडाड एशिया के सीनियर प्रोग्राम मैनेजर (सस्टेनेबल शुगरकेन), डाक्टर आलोक पांडे ने कहा की, “देश में चीनी उत्पादन वाले राज्यों में महाराष्ट्र के साथ ही कर्नाटक, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, गुजरात, पंजाब, हरियाणा और आंध्र प्रदेश जैसे राज्य शामिल हैंl भू-जल का नीचे जाता स्तर इन सभी राज्यों के किसानों के लिए चिंता का विषय हैl लेकिन गन्ने की खरीद सुनिश्चित होने और इससे मिलने वाली आमदनी को देखते हुए कोई भी किसान गन्ने की खेती छोड़ने के लिए आसानी से तैयार नहीं हैl ऐसे में एक उपाय यह दिखता है कि गन्ने की खेती करने वाले किसानों को जलवायु (परिवर्तन) आधारित खेती के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी दी जायेl जलवायु परिवर्तन के इस दौर में आने वाला समय खेती के लिए बेहतर अवसर लाये इसके लिए जरुरी है कि इन किसानों को उनके घर पर ही समय से जानकारी मिलेl”

उन्होंने आगे कहा, “अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किये गए कुछ प्रयासों से गन्ने की खेती सुधरने के संबंध में कुछ प्रयास किये गए हैं लेकिन यह प्रयास भारत में छोटी जोत वाले गन्ना किसानों के लिए बहुत कारगर साबित नहीं हुये हैंl जलवायु परिवर्तन के संबंध में किसानों को अन्य तकनीकी जानकारियों के साथ चार विषयों की जानकारी देना जरुरी है जिनमें – बेहतर खेत प्रबंधन, पर्यावरण संतुलन, जल और उर्जा तथा समुदाय के अधिकार- शामिल हैंl इन विषयों को ध्यान में रख कर सॉलीडैरीडाड द्वारा महाराष्ट्र, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों को पिछले कुछ महीनों से लगातार जानकारी दी जा रही हैl इस काम में चीनी मिलों का सहयोग भी लगातार मिल रहा हैl”

उनका मानना है की सरकार द्वारा हाल ही में लागू किये गए किसान बिलों को देखते हुए अब समय आ गया है कि गन्ने की खेती में जलवायु परिवर्तन से होने वाले नुकसान को बचाने की जिम्मेदारी किसानों के साथ चीनी मिल के मालिक भी लेंl ऐसा करने से ही गन्ना किसान अपने खेतों को दूसरी फसल उगाने वालों उद्यमियों को देने के लिए प्रेरित नहीं होंगे और चीनी क्षेत्र की आपूर्ति-श्रृंखला पर इसका बुरा असर रोका जा सकेगाl यह स्थिति चीनी मिल मालिकों के साथ ही सरकार के लिए भी एक बेहतर वातावरण तैयार करेगीl

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