गन्ना आपूर्ति में बरती गई अनियमितता के प्रकरण में गन्ना आयुक्त ने कठोर दण्डात्मक कार्यवाही का लिया निर्णय

लखनऊ: प्रदेश के आयुक्त, गन्ना एवं चीनी तथा निबन्धक, सहकारी गन्ना एवं चीनी मिल समितियॉं श्री संजय आर. भूसरेड्डी द्वारा बताया गया कि भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेन्स की नीति का अनुश्रवण करते हुए दोषियों पर कड़ी कार्यवाही की जा रही है। इसी क्रम में वृहद स्तरीय जांच के फलस्वरूप यह सिद्ध पाया गया कि श्री ओमवीर सिंह, अध्यक्ष, श्री प्रशान्त कुमार व श्री रामनिवास, संचालक सदस्य, तथा उनके परिवार के सदस्यों द्वारा गन्ना समिति, खतौली के अभिलेखों में फर्जीवाडा करते हुए गन्ना आपूर्ति में अवैध लाभ लिया गया।

इस सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी देते हुए निबन्धक द्वारा बताया गया कि सहकारी गन्ना विकास समिति लि., खतौली के कतिपय संचालक सदस्यों व उनके परिवार के सदस्यों के फर्जी सट्टे व अनियमित गन्ना आपूर्ति का प्रकरण कुछ समय पूर्व ही प्रकाश में आया था। इस प्रकरण पर जिला गन्ना अधिकारी, शामली तथा जिला गन्ना अधिकारी, मुजफ्फरनगर के स्तर से विस्तृत जांच कराई गयी। जांच में प्रथम दृष्टया इस बात की पुष्टि हुयी कि श्री ओमवीर, श्री प्रशान्त कुमार एवं श्री रामनिवास तथा इनके अधिकांश पारिवारिक सदस्यों द्वारा पेराई सत्र 2017-18, 2018-19 एवं 2019-20 में राजस्व अभिलेखों में दर्ज भूमि से अधिक भूमि व गन्ना क्षेत्रफल, गन्ना समिति, खतौली के अभिलेखों में दर्ज कराकर सट्टा बढ़वाया गया तथा अनियमित रूप से गन्ना आपूर्ति कर अवैध लाभ प्राप्त किया गया है।

उन्होंने यह भी बताया कि उपर्युक्त आरोपों के सिद्ध पाये जाने के दृष्टिगत अध्यक्ष, संचालक सदस्यगण गन्ना समिति खतौली एवं उनके परिवार के जिन सदस्यों द्वारा सट्टा नीति के विरूद्ध गन्ना आपूर्ति किया गया, उतने गन्ना मूल्य के बराबर की धनराशि सहकारी गन्ना विकास समिति लि., खतौली में जमा कराई जाए, साथ ही गन्ना समिति, खतौली की प्रबन्ध कमेटी अनियमित गन्ना आपूर्ति पर नियमानुसार पेनाल्टी भी लगाये। इसके अतिरिक्त अनियमित गन्ना आपूर्ति में श्री ओमवीर सिंह, अध्यक्ष, गन्ना समिति, खतौली, श्री प्रशान्त कुमार, श्री राम निवास एवं उनके परिवार के जिन सदस्यों द्वारा नियमानुसार निर्धारित सट्टे से अधिक गन्ना आपूर्ति सिद्ध पाई गयी है, उन सभी को उ.प्र. सहकारी समिति अधिनियम, 1965 की धारा 38(1) के प्राविधानों के अन्तर्गत अग्रेतर 03 वर्ष की अवधि हेतु संचालक सदस्य पर के निर्वाचन हेतु अनर्ह करने का निर्णय लिया गया है। निबन्धक द्वारा यह भी बताया गया कि भविष्य में किसी भी सदस्य द्वारा यदि अनियमित गन्ना आपूर्ति किया जाना प्रकाश में आता है तो उ.प्र. सहकारी समिति अधिनियम, 1965 की धारा 38(1) के प्राविधानों के अन्तर्गत विधिक कार्यवाही करते हुए संचालक सदस्य के पद से अनर्ह करने के साथ-साथ गन्ना समिति की सदस्यता समाप्त करने की कार्यवाही की जाएगी। उपरोक्त समस्त निर्णयों के क्रियान्वयन हेतु उ.प्र. सहकारी समिति अधिनियम, 1965 की धारा 38(1) के प्राविधानों के अन्तर्गत प्रबन्ध कमेटी, गन्ना समिति, खतौली के स्तर से कार्यवाही किये जाने के आदेश पारित किये गये हैं। प्रबन्ध कमेटी के स्तर से कार्यवाही के उपरान्त अग्रतर अन्तिम कार्यवाही पर निबन्धक के स्तर से विचार किया जाएगा।

निबन्धक द्वारा यह स्पष्ट कर दिया गया है कि शासन के निर्देशानुसार भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेन्स की नीति का अनुश्रवण किया जा रहा है यदि किसी भी समिति अध्यक्ष, संचालक सदस्य, प्रतिनिधि,ं साधारण सदस्य तथा अधिकारी व कर्मचारी की संलिप्तता भ्रष्टाचार एवं कदाचरण आदि में पाई जाएगी तो उसके विरूद्ध सख्त दण्डात्मक कार्यवाही की जाएगी, जिससे वह दूसरों के लिए नजीर बने।

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