बांग्लादेश: चीनी मिलों के सामने गन्ने की कमी का डर

ढाका: बांग्लादेश में चल रही सभी नौ चीनी मिलों को इस साल गन्ने की कमी का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि इस नकदी फसल का कुल खेती क्षेत्र पिछले साल की तुलना बहुत कम हो गया है। बांग्लादेश शुगर एंड फूड इंडस्ट्रीज कॉरपोरेशन ने पिछले साल घाटे में चल रही छह चीनी मिलों का परिचालन बंद करने का फैसला किया था। छह मिलों के अचानक बंद होने के कारण भारी परेशानी और नुकसान का सामना करने के बाद किसानों ने इस सीजन में बड़ी मात्रा में गन्ने की खेती करने से परहेज किया। पिछले साल सेताबगंज, पंचगढ़, श्यामपुर, पबना, कुश्तिया और रंगपुर चीनी मिल बंद कर दी गई हैं। आपको बता दे की, बांग्लादेश में पेराई सीजन दिसंबर में शुरू होता है। इस वर्ष 49,900 एकड़ भूमि पर गन्ने की खेती की गई है, जबकि 2020 में 1.09 लाख एकड़ में गन्ने की फसल की गई थी।

छह चीनी मिलों के बंद होने के बाद कई किसानों ने अपनी पूंजी भी पूरी तरह खो दी। रंगपुर गन्ना उत्पादक संघ के अध्यक्ष मोहम्मद सागर हुसैन ने कहा कि, इस साल जिले में खेती में गिरावट आई है क्योंकि ज्यादातर किसान पिछले सीजन में नुकसान के बाद गन्ना फसल करने को तैयार नहीं है। फेडरेशन ऑफ बांग्लादेश शुगर मिल फार्मर्स के महासचिव शाहजहां अली बादशा ने कहा कि, छह मिलों को बंद करने के फैसले से गन्ना किसान नाराज हो गए है। उन्होंने कहा, हमने पूरे देश में विरोध प्रदर्शन किया लेकिन सरकार ने अपना फैसला बरकरार रखा। बादशा ने यह भी आरोप लगाया कि गन्ना उत्पादकों को मिल अधिकारियों से पर्याप्त मात्रा में कृषि सामग्री, जैसे उर्वरक, कीटनाशक और बीज नहीं मिलने के कारण उत्पादन लागत बढ़ गई है।

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