बांग्लादेश: चीनी मिलें बंद होने से गन्ना किसान परेशान

ढाका: देश भर में घाटे में चल रही पबना शुगर मिल, सेताबगंज शुगर मिल्स, कुश्तिया शुगर मिल्स, पंचगर शुगर मिल्स लिमिटेड, श्यामपुर शुगर मिल और रंगपुर शुगर मिल्स को बंद किया है। यह छह चीनी मिलों को बंद करने के सरकार के फैसले का सीधा असर गन्ने का रकबा घटने पर हुआ है। गन्ना किसानों ने अपना रुख अब सब्जियों की तरफ किया है। देश के हजारों किसानों का मिल बंद होने से गन्ना बिक्री में कठिनाइयों का सामना करने के बाद, गन्ने की खेती छोड़ने का फैसला किया और इसके बजाय इस साल विभिन्न सब्जियां लगाईं है। हालांकि, किसान अत्यधिक लाभदायक गन्ना फसल न करने को लेकर अफसोस जताते हैं।

किसानों का कहना है की, गन्ना किसी भी अन्य फसल की तुलना में अधिक लाभ लाता है क्योंकि गन्ने की कीमत कभी नहीं गिरती है। सब्जियों की खेती तुलनात्मक रूप से पर्याप्त लाभदायक नहीं है। देश में अब गन्ने की खेती सिकुड़ रही है, जिसका सीधा असर चीनी उत्पादन पर हो रहा है। किसानों को गन्ने के प्रत्येक बीघा से लगभग 40,000 से 50,000 रुपये की कमाई होती है, जबकि चीनी मिलें उत्पादन बढ़ाने में मदद करने के लिए नकद सहायता, बीज, उर्वरक और कीटनाशक भी प्रदान करती हैं।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश शुगर एंड फूड इंडस्ट्रीज कॉरपोरेशन (BSFIC) के अनुसार, 2021-22 सीजन में छह सरकारी चीनी मिलों के बंद होने के बाद गन्ने की खेती में भारी गिरावट आई है। BSFIC की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, 2020-21 गन्ना पेराई सत्र में 16.43 लाख टन गन्ना उत्पादन के लिए 1.27 लाख एकड़ भूमि पर खेती की गई। चालू वित्त वर्ष में 15 चीनी मिल क्षेत्रों में कुल 49,908 एकड़ को गन्ने की खेती के तहत लाया गया है, जिसमें अनुमानित उत्पादन लक्ष्य 6.57 लाख टन है। रिपोर्ट में कहा गया है कि, राज्य के स्वामित्व वाली छह चीनी मिलों के बंद होने से इस साल गन्ने के उत्पादन में भारी गिरावट आई है।

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